हर प्रॉब्लम का सॉल्यूशन है रामचरित मानस, महायज्ञ की 108 परिक्रमा में छुपा है मोक्ष का राज, कैसे करें?
श्री राम चरित मानस यज्ञ का परिक्रमा करने और कई वस्तुएं चढ़ाने से कई प्रकार की शरीर से जुड़ी समस्या दूर होती है. इसके सा ...अधिक पढ़ें
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लखेश्वर यादव/ जांजगीर चांपा:- जांजगीर के राम जानकी मंदिर में प्रतिवर्ष श्री राम चरित मानस महायज्ञ होता है, जिसमें भक्त सुनने और हवन करने जाते हैं. आज हम आपको श्री राम चरित मानस महायज्ञ जहां होता है, वहां परिक्रमा करने के फायदे में बता रहे हैं.
इसके परिक्रमा के बारे में पंडित अशोक कुमार दुबे ने लोकल18 को बताया कि श्री राम चरित मानस यज्ञ का परिक्रमा करने और कई वस्तुएं चढ़ाने से कई प्रकार की शरीर से जुड़ी समस्या दूर होती है. इसके साथ ही भक्ति, मुक्ति, धन, विद्या को प्राप्ति होती है. इसमें 108 बार परिक्रमण किया जाता है, जिसमें से 106 बार यज्ञ के पश्चिम द्वार पर जो हुई वस्तु लेकर परिक्रमण कर रहे है, उसे हर परिक्रमण में एक- एक कर रखते जाते हैं और अंतिम के शेष दो परिक्रमण को घूमते समय जो हाथ में जो वस्तु रखे हैं, उसे भगवान को दिखा कर प्रसाद के रूप में ग्रहण किया जाता है. पंडित जी ने बताया इसे चढ़ाने से क्या लाभ मिलता है.
जानिए क्या चढ़ाकर परिक्रमण करने से मिलता है लाभ?
• माला से परिक्रमा करने से भक्ति प्राप्ति होती है.
• तुलसी जल चढ़ाने से मुक्ति प्राप्ति होती है.
• पुष्प चढ़ाने से विद्या प्राप्ति होती है.
• फल चढ़ाने से जीवनसाथी, संतान की प्राप्ति होती है.
• अखरोट चढ़ाने से मनोरोग, चिन्ता से मुक्ति मिलती है.
• बादाम चढ़ाने से नेत्ररोग की समस्या दूर होती है.
• काजू चढ़ाने से हृदय रोग में शांति मिलती है.
• किशमिश चढ़ाने से उदर (पेट) रोग शांत होता है.
• पिस्ता चढ़ाने से गुदा रोग शांत होता है.
• अंजीर चढ़ाने से पथरी रोग शांत होता है.
• लौंग चढ़ाने से वात रोग शांत होता है.
• इलायची चढ़ाने से दुर्बलता रोग दूर होता है.
• दक्षिणा चढ़ाने से धन प्राप्ति और व्यापार में वृद्धि होती है.
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कैसे करें परिक्रमा और कैसे चढ़ाएं वस्तु?
पंडित जी ने Local18 को आगे बताया कि श्री राम चरित मानस यज्ञ जहां हो रहा है, वहां आपको जिस सामान को लेकर परिक्रमा करना है, उसे पहले 108 नग गिन लें और उसके बाद राम चरित मानस यज्ञ का उस 108 सामान लेकर परिक्रमा करें. हर परिक्रमा में एक-एक करके 106 नग समान लेकर पश्चिम द्वार पर चढ़ाते जाएं और शेष 02 परिक्रमा के समान (पदार्थ) बिना चढ़ाए भगवान को दिखाकर मन्नत पूरी करने की प्रार्थना करें और प्रसाद मानकर अपने पास रख लें. पंडित जी ने बताया कि अगर पुष्प (फूल) लेकर परिक्रमा कर रहे हैं, तो उसे जल या पेड़ में चढ़ा दें और खाद्य पदार्थ खा लें. अगर पति-पत्नी जोड़े से परिक्रमा करें, तो एक-एक पदार्थ खा लें. वहीं दक्षिणा से परिक्रमा कर रहे हैं, तो लास्ट दो परिक्रमा के बचे हुए दक्षिणा को अपनी तिजोरी (गल्ले) में रखें.
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