knowledge
  • text

PRESENTS

sponser-logo

TYRE PARTNER

  • text

ASSOCIATE PARTNER

  • text
  • text
  • text
सबसे तेजी से गर्म होने वाला महाद्वीप बन रहा है यूरोप- अध्ययन
FOLLOW US
TEXT SIZE
SmallMediumLarge
SHARE
हिंदी समाचार / न्यूज / ज्ञान / सबसे तेजी से गर्म होने वाला महाद्वीप बन रहा है यूरोप- अध्ययन

सबसे तेजी से गर्म होने वाला महाद्वीप बन रहा है यूरोप- अध्ययन

यूरोप में पिछले कुछ समय से गर्मी के नए रिकॉर्ड बन रहे हैं. (प्रतीकात्मक तस्वीर: Wikimedia commons)
यूरोप में पिछले कुछ समय से गर्मी के नए रिकॉर्ड बन रहे हैं. (प्रतीकात्मक तस्वीर: Wikimedia commons)

यूरोपीय संघ और विश्व मौसम संगठन की एक संयुक्त रिपोर्ट में बताया गया है कि यूरोप दुनिया का सबसे तेजी से गर्म होने वाला म ...अधिक पढ़ें

जलवायु परिवर्तन पूरी दुनिया को तेजी से गर्म कर रही है. इससे दुनिया भर में तापमान बढ़ने केसाथ ही चरम मौसमी घटनाएं देखने को मिल रही हैं. खासतौर से गर्मी का मौसम, चरम सूखा, जंगलों में आग की घटनाओं की संख्या तो बढ़ रही है, साथ ही इनकी तीव्रता में भी इजाफा देखने को मिल रहा है.  पिछले दो साल से यूरोप में गर्मी की मौसम कुछ ज्यादा ही कहर बरपाता दिखाई दे रहा है. पर यूरोपीय संघ और विश्व मौसम संगठन की एक संयुक्त रिपोर्ट में बताया किया गया है कि यूरोप दुनिया का सबसे तेजी से गर्म होने वाला महाद्वीप बन चुका है.

आज की ही बात नहीं है
रिपोर्ट में इस दावा का आधार आज या एक दो साल के आकंड़े नहीं बल्कि 1980 से जमा किए गए आंकड़े हैं. इस आधार पर पाया गया है कि यूरोप का तापमान औसत वैश्विक तापमान से 1980 के दशक की तुलना में दो गुना बढ़ा गया है. पिछले साल गर्मी के मौसम में यूरोप मे गर्मी के सारे रिकॉर्ड टूट गए थे और जिससे हजारों लोगों की जान चली गई थी.

आगे तो बार बार होगा ऐसा
इस तरह की चेतावनी अब बार बार दिए जाने की संभावना जताई जा रही है कि आने वाले समय में यूरोप में गर्मी के नए रिकॉर्ड बन सकते है और चरम गर्मी यूरोप में चलन का स्वरूप ले सकती है. इस रिपोर्ट ऑन स्टेट ऑफ क्लाइमेंट में बताया गया है कि पिछले साल यूरोप में 16 हजार से भी ज्यादा मौतें हुई थीं.

क्या यह अचानक ही हुआ है?
यहां एक सवाल यह पैदा होता है कि क्या यह सब हाल के समय में होने वाली चरम मौसमी घटनाओं की वजह से हो रहा है या फिर यह एक तरह का स्थायी बदलाव है. इस पर कॉपरनिकस क्लाइमेट चेंज सर्विस के निदेशक डॉ कार्लो ब्योन्टेम्पो का कहना है कि दुर्भाग्य से यह सब केवल एक बार या फिर कभी कभी होने वाली जलवायु की असामान्य घटना नहीं कहा जा सकता है.

यूरोप में हाल के कुछ सालों में नदियों के सूखने और जंगल में आग लगने की घटनाएं भी तेज हुई हैं. (प्रतीकात्मक तस्वीर: Shutterstock)

यूरोप में हाल के कुछ सालों में नदियों के सूखने और जंगल में आग लगने की घटनाएं भी तेज हुई हैं. (प्रतीकात्मक तस्वीर: Shutterstock)

एक पैटर्न का हिस्सा है ये सब
डॉ ब्योन्टेम्पो ने इस बारे में चर्चा करते हुए बताया कि जलवायु तंत्रों और उसके विकास को लेकर हमारी समझ बताती है कि इस तरह की घटनाएं एक पैटर्न का हिस्सा हैं जिससे ऊष्मा का दबाव चरम पर पहुंच रहा है और साथ ही ऐसा ना केवल बार बार हो रहा है बल्कि इस क्षेत्र में और ज्यादा तीव्र हो रहा है.

यह भी पढ़ें: जमीन का पानी निकलने से ‘टेढ़ी’ हो गई है पृथ्वी, जलवायु पर होगा असर – अध्ययन

एक बड़ा सवाल
वैज्ञानिकों ने चेतावनी दी है कि आने वाले समय में दुनिया भर में अल नीनो के प्रभाव के कारण जलवायु परिवर्तन के मिले जुले प्रभाव की वजह से बहुत अधिक गर्मी देखने को मिलेगी. लेकिन यूरोप ही सबसे तेजी से गर्म क्यों हो रहा है यह भी एक बड़ा सवाल है. वैज्ञानिकों का कहना है कि इसका कारण इसकी भौगोलिक स्थिति है.

Climate Change, Environment, global Warming, Europe, Research, World Meteorological Organisation, the European Union, Fastest Warming continent,

यूरोप के साथ ही गर्मी में इतनी तीव्रता क्यों देखने को मिल रही है, यह भी एक सवाल है. (प्रतीकात्मक तस्वीर: Pixabay)

आर्कटिक और उसका क्षेत्र
दरअसल यूरोप का एक बहुत बड़ा हिस्सा आर्कटिक और उसके आसपास का इलाका है जो पृथ्वी के सबसे तेजी से गर्म होने वाला इलाका है. इसके साथ ही जलवायु परिवर्तन के अन्य कारक भी यूरोप पर उसी तरह से लागू हो रहे हैं जैसे बाकी दुनिया पर. और यह सब मिलकर यूरोप को तेजी से गर्म कर रहे हैं.

यह भी पढ़ें: क्या होगा अगर पृथ्वी से गायब ही हो जाए ओजन परत?

रिपोर्ट में बताया गया है पिछले साल बाल्टिक, काला और भूमध्य सागर भीषण और चरम समुद्री गर्म लहरें महसूस की गई थीं और वहीं दूसरी ओर महद्वीप के ग्लेशयरों के पिघलने की घटना ने भी सबसे ज्यादा का रिकॉर्ड बनाया था. पिछले साल यूरोप में औसत तापमान दूसरे और चौथे सबसे ज्यादा के रिकॉर्ड के बीच था.  लेकिन यूरोप में एक उम्मीद कि किरण भी है. यहां पिछले साल पहले बार अक्षय ऊर्जा से बिजली का उत्पादन  (22.3 फीसद) जीवाश्म ईंधन के उत्पादन (20 फीसद) से ज्यादा है. यानि यूरोप तेजी से अक्षय ऊर्जा के उपयोग की ओर बढ़ रहा है. लेकिन इससे वैश्विक स्तर पर क्या असर होगा और यूरोप कितना संभल पाएगा यह कहना मुश्किल है.

Tags: Climate Change, Global warming