कौन हैं सुप्रीम कोर्ट जज बेला त्रिवेदी, जिन्होंने बिलकिस बानो केस से खुद को अलग किया
सुप्रीम कोर्ट में 14 दिसंबर को बिलकिस बानो केस की सुनवाई थी. दरअसल वर्ष 2002 में गोधरा दंगों के बाद गैंग रेप का शिकार ह ...अधिक पढ़ें
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सुप्रीम कोर्ट में 14 दिसंबर को बिलकिस बानो की दो याचिकाओं पर सुनवाई शुरू होने वाली थी. ये सुनवाई शीर्ष कोर्ट की जो बैंच कर रही थी, उसमें शामिल जस्टिस बेला एम त्रिवेदी ने खुद को केस से अलग कर लिया. सुनवाई बैंच के दूसरे जज जस्टिस अजय रस्तौगी ने ये जानकारी दी. कयास लगने लगे कि उन्होंने क्यों खुद को क्यों इस मामले से अलग किया होगा. हालांकि इसकी वजह नहीं बताई गई है.
जस्टिस त्रिवेदी की छवि गुजरात और राजस्थान हाईकोर्ट में ईमानदार और कानूनविद जज की रही है. पिछले साल 31 अगस्त को वह गुजरात हाईकोर्ट से सुप्रीम कोर्ट में नियुक्त हुईं. हालांकि जब उन्हें सुप्रीम कोर्ट में बतौर जज नियुक्ति मिली, तो सवाल भी उठे कि कई सीनियर हाईकोर्ट जजों को अनदेखा कर उन्हें कैसे ये जगह दी गई.
जयपुर हाई कोर्ट का कार्यकाल
हालांकि राजस्थान हाईकोर्ट में बतौर जज उन्होंने खूब वाहवाही पाई. जयपुर हाईकोर्ट में एक वकील बताते हैं कि वो न्यायप्रिय और मानवीय जज रहीं. उनकी अदालत में हमेशा निष्पक्षता से न्याय हुआ. वह नहीं देखती थीं कि पैरवी करने वाला वकील कितना सीनियर या नामी है या कितना जूनियर. मुख्य तौर पर वह इस बात पर ध्यान देती थीं कि मामला क्या है और उसमें वकील क्या दलीलें या सबूत पेश कर रहा है.
सुप्रीम कोर्ट की जज बेला एम त्रिवेदी के नाम एक खास उपलब्धि ये भी है जब वह जज बनकर अहमदाबाद के सेशन कोर्ट में पहुंची तो उनके पिता पहले से जज थे. एक साथ पिता और पुत्री का एक ही अदालत में जज के तौर पर काम करने का ये भारत में पहला मामला था. (supreme court official site)
जयपुर से गुजरात हाई कोर्ट ट्रांसफर
जयपुर हाई कोर्ट में करीब 05 साल बाद जज रहने के बाद जब उनका तबादला फिर गुजरात हाई कोर्ट के लिए हुआ तो उन्हें काफी सम्मानपूर्ण विदाई मिली. आज भी जयपुर हाई कोर्ट में उन्हें काबिल जज के तौर पर याद किया जाता है. वह फरवरी 2011 में जयपुर हाई कोर्ट में जज के रूप में पहुंची. फरवरी 2016 तक वहां रहीं. फिर गुजरात हाई कोर्ट स्थानांतरित हो गईं. उसी साल अगस्त में उन्हें सुप्रीम कोर्ट का जज बना दिया गया.
जिस कोर्ट में जज बनीं उसी में पिता भी थे न्यायाधीश
60 वर्षीय बेला त्रिवेदी अविवाहित हैं. उनके पिता भी जज रहे हैं. वर्ष 1995 में जब वह अहमदाबाद सेशन कोर्ट में जज बनीं तो उनके पिता पहले से वहां जज थे. जिसे “लिम्का बुक ऑफ वर्ल्ड रिकार्ड” के 1996 के अंक में खासतौर पर शामिल किया गया, क्योंकि भारत में इससे पहले कभी ऐसा नहीं हुआ जबकि पिता और पुत्री एक ही अदालत में साथ जज रहे हों. ये जानकारी सुप्रीम कोर्ट की आधिकारिक साइट में दी गई है.
10 साल की प्रैक्टिस के बाद गुजरात हाई कोर्ट में जज बनीं
1960 में गुजरात के पट्टन में जन्मी जस्टिस बेला की पढाई कई शहरों में हुई क्योंकि पिता का तबादला होता रहता था. उन्होंने बी कॉम में ग्रेजुएशन करने के बाद एमएस यूनिवर्सिटी वडोदरा से वकालत की पढ़ाई की. करीब 10 सालों तक गुजरात हाई कोर्ट में प्रैक्टिस किया. वह सिविल और कांस्टीट्यूशन संबंधी मुकदमे लड़ती थीं. फिर उन्हें जज बना दिया गया.
सख्त और फैसलों पर अंगुली नहीं उठाई जा सकती
उन्हें सख्त और कानून का जानकार जज माना जाता है. उनके फैसलों पर अंगुली उठाई नहीं जा सकती. हाईकोर्ट जज के तौर पर उनका करियर 17 फरवरी 2011 में गुजरात हाईकोर्ट से शुरू हुआ था. वह वर्ष 2025 तक सुप्रीम कोर्ट में जज रहेंगी.
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