बीवी को मारना-पीटना सही मानते हैं भारतीय मर्द, पिटाई की वजह करेंगी हैरान!

punjabkesari.in Saturday, Jun 01, 2019 - 07:37 PM (IST)

भारत में जहां महिलाओं को देवी का रूप माना जाता है वहीं आज भी कई जगहों पर उन्हें घरेलू हिंसा का शिकार होना पड़ता है। समाज में महिलाओं को बराबरी का दर्जा देने से उनका सम्मान नहीं बढ़ जाता बल्कि फर्क इस बात से पड़ता है कि लोग इस पर कितना अमल करते हैं। महिलाओं के साथ होने वाली बदसलूकी की घटनाएं कोई नई नहीं है लेकिन बदलते समय के साथ महिलाओं पर अत्याचार का प्रतिशत बढ़ता ही जा रहा है।

जी हां, भले ही महिलाओं पुरूषों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर चल रही हैं,  वहीं घर की चारदीवारी में उन्हें घरेलू हिंसा, दुर्व्यवहार और असमानता का शिकार भी होना पड़ रहा है। हाल ही में हुए एक शोध के अनुसार, भारत में महिलाओं के साथ असमानता में कोई बदलाव नहीं आया है। करीब 1 हजार परिवारों पर बनाई गई इस रिपोर्ट की जानकारी के अनुसार, घर के मर्दों ने छोटी-छोटी बातों पर महिलाओं को मारने, पीटने और फटकारने की बात स्वीकारी है।

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पुरूषों की ऐसी सोच से साफ जाहिर है कि महिलाएं जब तक उनकी बात चुपचाप मानती है वह तभी तक देवी है। अगर वह अपने हक के लिए आवाज उठाती है या किसी गलत बात का विरोध करती हैं तो पुरूष उसके साथ मारपीट करने लग जाता है।

 

किचन का काम, बिना इजाजत बाहर जाने से होती है मारपीट

हैरानी की बात तो यह है कि 53% मर्दों ने कहा कि अगर महिला बच्चे की परवरिश ठीक ढंग से ना करे तो उसे फटकारना या मारना गलत नहीं है। वहीं 41% पुरूषों ने महिला द्वारा किचन की जिम्मेदारी से मुंह मोड़ने की बात पर उन्हें मारने-पीटने की बात कही। 42% मर्दों ने माना कि अगर महिला पीने का पानी न भरे और खाना बनाने के लिए ईंधन न लाए तो उसे मारना सही है। इतना ही नहीं, 54% पुरूष महिला को बिना इजाजत घर से बाहर जाने पर उन्हें मारना-पीटना अपना अधिकार समझते हैं।

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महिलाएं खुद भी है इसकी जिम्मेदार

महिलाएं खुद भी अपनी इस हालात की जिम्मेदार है क्योंकि वह कानून द्वारा दिए गए अधिकारों का इस्तेमाल ही नहीं करती। जी हां, अगर कोई महिला अगर घरेलू हिंसा का शिकार हो रही हैं तो वो इसके लिए शिकायत दर्ज करवा सकती है, जिसके बाद पहले कारवाही और बाद में छानबीन की जाएगी। भारतीय कानून के अनुसार मां, बेटी, पत्नी, बहू या फिर घर में रह रही किसी भी महिला पर घरेलू हिंसा करना अपराध है। हालांकि बहुत कम महिलाएं ही ऐसी है जो अपने इस हक का इस्तेमाल करती हैं। इतना ही नहीं, कई महिलाओं को तो अपने इस हक के बारे में जानकारी भी नहीं है।

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जब तक समाज में ऐसी सोच रखने वाले पुरूष मौजूद है तब महिलाओं की उन्नति मुश्किल है। भले ही आज महिला सशक्तिकरण के लिए कई कदम उठाए गए हो लेकिन शोध में सामने आई पुरूषों की ऐसी सोच यह सवाल खड़ा करती हैं कि आखिर कब ये सूरत बदलेगी?


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Content Writer

Anjali Rajput

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