आजकल चंडूखाने के चिलमची आये दिन धर्म सभाये करते हैँ उड़ने के लिए अंध भक्तो को नए आकाश औऱ नए पँख बांटते हैँ आध्यत्मिक परितृप्ति का अमोघ अस्त्र उनके भगवेपन मे लिपटा हैँ उनकी अपरिपक्व मनोवृति से कई ईश्वर भी कांपते हैँ अंध भक्ति.......