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निःशब्द हों गए ये किनारे निःश्वास हों गया है ये अ

निःशब्द हों गए ये किनारे 
निःश्वास हों गया है ये अम्बर
अब तो रुक जाना यह सब समझकर
कि प्रकृति सबकुछ देती ही है नहीं कुछ लेती जीवन में
मत घोल तु स्वयं तेरे ही श्वासो में जहर।
अब तक तो देख भी लिया है जगत में कहर।
Bhishma
निःशब्द हों गए ये किनारे 
निःश्वास हों गया है ये अम्बर
अब तो रुक जाना यह सब समझकर
कि प्रकृति सबकुछ देती ही है नहीं कुछ लेती जीवन में
मत घोल तु स्वयं तेरे ही श्वासो में जहर।
अब तक तो देख भी लिया है जगत में कहर।
Bhishma