वो देश के विरुद्ध हैं तभी तो रुद्र क्रुद्ध हैं। हों विचार शुद्ध जो तो ना कहीं भी युद्ध हैं। भ्रात तुम रखो ही नींव हों विचार शुद्व की- हैं विचार ही गलत जो नीति के विरुद्ध हैं।। भारत भूषण झा "भरत"