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छ द करण
डॉ. नीलम शमा
अ स टट ोफे सर , सं कृ त वभाग
कु मारी मायावती राजक य म हला नातको र महा व ालय बादलपुर,
गौतम बु नगर
उ े य
● सं कृ त वा मय म छ द के व प एवं भेद का सामा य
अवबोध।
● ल ण एवं उदाहरण पूवक छ द का व श ान ।
● छ द रचना एवं नधारण क ता कक यो यता का वकास ।
● छ द गायन कौशल का वकास।
छ द का मह व
● छः वेदा म छ द का मह वपूण थान है - “छ दःपादौ तु वेद य”
छ द वेदा को वेद का पाद कहा गया है। जस कार पैर के बना मनु य चलने म असमथ
होता है उसी कार छ दो ान के बना वेद पंगु के समान है अथात छंद के स यक ान के
बना वै दक मं का शु उ चारण नह हो सकता है।
● ना छ द स वागु चर त- छ द के बना वाणी उ च रत नह होती है ।
● छ दहीनो न श दोs त न छ दःश द- व जतम् - भरतमु न ना शा म छंद से
वर हत श द वीकार नह करते ह।
● “छ दोब पदं प ं”- आचाय व नाथ ने प का म छंद क अ नवायता को स
कया है। छ दोब रचना ही प का कह जाती है, अ यथा वह ग का क ेणी
म आ जाती है।
छ द
छ द “च द आ ादे द तौ च” से असुन यय करने पर न प होता है जसका अथ है
आनं दत करना एवं का शत करना। ‘बृहदधातु कु सुमाकर’
या क के अनुसार - छ द श द क ु प ‘छ द संवरणे’ धातु से ई है । छ दां स
छादनात्” जसका अथ है - आ छा दत करना। छंद वेद को आ छा दत करते ह।
का यायन ारा सवानु मणी म- “यद रप रमाणं त छ द:”
जो अ र का प रमाण है वह छंद है ।
अथववेद क बृह सवानु मणी म अ र सं या के अव छेदक को छंद कहा गया है-
छ दोS रसं याव छेदकमु यते।
जस वा य म मा ा, वण, रचना, वराम एवं य त संबंधी नयम हो एवं जो स दय को
आनं दत कर उसे छंद कहते ह।
छ द का ाचीनतम उ लेख ऋ वेद म ा त होता है ।
छंद शा के वतक - आचाय प ल (छ दः सू )
आचाय पगल ने अपने छ दः सू म छ द को दो भाग म वभा जत
कया है - वै दक छंद एवं लौ कक छंद।
आचाय वा मी क के मुख से नसृत सव थम लौ कक छंद अनु ुप-
छ द के कार
छ द सामा यतः दो कार के होते ह - 1. मा क छ द 2. वा णक छ द
1. मा क छ द- जन छंद के येक चरण म मा ा क सं या एवं म
नधा रत होता है जैसे क आया छंद।l
2. वा णक छ द- जन छंद के येक चरण म वण क सं या तथा म
नधा रत होता है, उ ह वा णक छंद कहा जाता है।
वा णक छ द तीन कार के होते ह-
1. समवृ 2. अ समवृ 3. वषमवृ
1. समवृ - जनके चार चरण म वण क सं या एवं म समान होता
है जैसे इं व ा, उप व ा, वंश थ, वसंत तलका इ या द।
2. अ समवृ - जनके थम एवं तृतीय और तीय एवं चतुथ चरण
म वण क सं या एवं म समान होता है जैसे क पु पता ा, वयो गनी
आ द।
3. वषमवृ - जनके चार चरण म वण क सं या एवं म भ -
भ होता है जैसे क गाथा, उद् गाथा आ द।
य त -य त का अथ है वराम या व ाम । ोक को पढ़ते समय एक चरण म जतने
वण के बाद अ प वराम या थोड़ा कना होता है , उसे य त कहते ह।
मा ा - एक वर का उ चारण करने म लगने वाला समय मा ा कहलाता है इस कार
लघु या द घ वण के अनुसार मा ा भी लघु या द घ होती है। सं कृ त वां मय म अ, इ,
उ, ऋ, लृ- यह 5 वण व है। शेष सभी मा ाएं आ , ई, ऊ, ॠ, ए, ऐ, ओ, औ -
सब द घ है।
लघु मा ा का मान 1 होता है। लघु या व वण को कट करने के लए ‘I’ का च ह
लगाया जाता है ।
द घ मा ा का मान 2 होता है । द घ या गु वण को कट करने के लए ‘S’ का च ह
लगाया जाता है ।
गण- तीन वण के समूह को गण कहते है । छंद शा म कु ल 8 गण होते है ।
आठ गण को एक अ यंत सरल सू के ारा समझा जा सकता है-
I । ऽ ऽ ऽ I ऽ I I I ऽ
यमाताराजभानसलगम्
मा ा लगाते समय यान देने यो य ब
आया छ द
ल ण- य याः थमे पादे ादश मा ा तथा तृतीयेऽ प।
अ ादश तीये चतुथके प चदश साया।।
आया एक मा क छंद है अथात् इसम मा ा क गणना होती है । इसके थम चरण म 12 मा ाएं ,
तीय चरण म 18 मा ाएं , तृतीय चरण म 12 मा ाएं एवं चतुथ चरण म 15 मा ाएं होती है ।
अनु ुप छ द
ल ण- ोके ष ं गु यं,
सव लघु प चमम् |
चतु पादयोः वं,
स तमं द घम ययोः।
अनु ुप या ोक एक वा णक छंद है । जसके येक चरण म 8 वण होते ह । इसके चार चरण म
छटा अ र गु तथा पांचवा लघु होता है । सरे और चौथे चरण म सातवां अ र लघु होता है तथा
पहले और तीसरे चरण म सातवां अ र गु होता है।
उदाहरण-
इ व ा द
ल ण- “ या द व ा य द तौ जगौ गः।”
इ व ा छंद के येक चरण म 11 वण होते ह । येक चरण म मशः तगण,तगण,जगण
तथा दो गु वण होते ह । य त पांच वण के बाद होती है।
उदाहरण-
उप व ा
ल ण- उपे व ा जतजा ततोगौ ।
उप व ा छंद के येक चरण म जगण, तगण, जगण तथा दो गु वण के म से 11 वण
होते ह । य त 5 वण के बाद होती है।
उदाहरण-
उपजा त
ल ण-,
उपजा त छ द के येक चरण म 11 वण होते ह। यह छंद इं व ा एवं उप व ा दोन का म ण है । चार चरण म से दो
चरण म इं व ा और दो चरण म उप व ा हो सकता है अथवा एक चरण म इं व ा और 3 म उप व ा हो सकता है या
तीन चरण म इ व ा तथा एक चरण म उप व ा छंद हो सकता है।
उदाहरण -
वंश थ
ल ण- -“जतौ तु वंश थमुद रतमं जरौ”
वंश थ छंद म चार चरण म मशः जगण, तगण, जगण तथा रगण के म से 12 वण होते ह
। य त 5 वण के बाद होती है ।
उदाहरण-
!
_
त वल बत
ल ण- “ त वल बतमाह नभौ भरौ”
त वलं बत छंद म येक चरण म मशः नगण, भगण, भगण तथा रगण के म से 12 वण होते
ह । य त चार चार वण के बाद होती है।
उदाहरण-
वसंत तलका
ल ण - “उ ा वसंत तलका तभजा जगौ गः।
वसंत तलका छंद म चार चरण म मशः तगण, भगण, जगण, जगण तथा दो गु वण के म से
14 वण होते ह । य त 8 और 6 वण पर होती है।
उदाहरण-
म दा ा ता
ल ण- “म दा ा ताऽ बु धरसनगैम भनौ तौ गयु मम्।”
मंदा ांता छंद म चार चरण म मगण,भगण, नगण, तगण, तगण तथा दो गु वण के म से 17
वण होते ह । य त 4,6 एवं 7 वण पर होती है।
उदाहरण-
शख रणी
ल ण- “रसै ै छ ा यमनसभलागः शख रणी।”
शख रणी छंद म चार चरण म मशः यगण, मगण, नगण, सगण, भगण तथा अंत म एक लघु तथा एक गु
वण होता है इस कार इसके येक चरण म 17 वण होते ह । य त छठे और 17 वण पर होती है।
उदाहरण-
शा ल व डतम्
ल ण- “ सूया ैय द मः सजौ सततगाः शा ल व डतम्।
शा ल व डतम् छंद के चार चरण म मशः मगण, सगण, जगण, सगण, तगण, तगण तथा अंत म गु वण
के म से 19 वण होते ह । य त 12 और 7 वण पर होती है।
उदाहरण-
धरा
ल ण- “ नैयानां येण मु नय तयुता धरा क ततेयम्।”
धरा छंद म चार चरण म मशः मगण, रगण, भगण, नगण, यगण, यगण, यगण के म से 21
वण होते ह । य त 7 - 7 वण पर होती है।
उदाहरण -
अ यास
न न ल खत ोक म गण च ह लगाते ए छंद का नधारण क जए।
संदभ ंथ
वृ र नाकरः, ी के दारभ , ( ा.) ब देव उपा याय , चौखंबा सुरभारती काशन ,
वाराणसी , 2011
अ य ोत
छ दोऽलंकारसौरभम्, डॉ. सा व ी गु ता, व ा न ध काशन, द ली , 2009
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  • 1. छ द करण डॉ. नीलम शमा अ स टट ोफे सर , सं कृ त वभाग कु मारी मायावती राजक य म हला नातको र महा व ालय बादलपुर, गौतम बु नगर
  • 2. उ े य ● सं कृ त वा मय म छ द के व प एवं भेद का सामा य अवबोध। ● ल ण एवं उदाहरण पूवक छ द का व श ान । ● छ द रचना एवं नधारण क ता कक यो यता का वकास । ● छ द गायन कौशल का वकास।
  • 3. छ द का मह व ● छः वेदा म छ द का मह वपूण थान है - “छ दःपादौ तु वेद य” छ द वेदा को वेद का पाद कहा गया है। जस कार पैर के बना मनु य चलने म असमथ होता है उसी कार छ दो ान के बना वेद पंगु के समान है अथात छंद के स यक ान के बना वै दक मं का शु उ चारण नह हो सकता है। ● ना छ द स वागु चर त- छ द के बना वाणी उ च रत नह होती है । ● छ दहीनो न श दोs त न छ दःश द- व जतम् - भरतमु न ना शा म छंद से वर हत श द वीकार नह करते ह। ● “छ दोब पदं प ं”- आचाय व नाथ ने प का म छंद क अ नवायता को स कया है। छ दोब रचना ही प का कह जाती है, अ यथा वह ग का क ेणी म आ जाती है।
  • 4. छ द छ द “च द आ ादे द तौ च” से असुन यय करने पर न प होता है जसका अथ है आनं दत करना एवं का शत करना। ‘बृहदधातु कु सुमाकर’ या क के अनुसार - छ द श द क ु प ‘छ द संवरणे’ धातु से ई है । छ दां स छादनात्” जसका अथ है - आ छा दत करना। छंद वेद को आ छा दत करते ह। का यायन ारा सवानु मणी म- “यद रप रमाणं त छ द:” जो अ र का प रमाण है वह छंद है । अथववेद क बृह सवानु मणी म अ र सं या के अव छेदक को छंद कहा गया है- छ दोS रसं याव छेदकमु यते। जस वा य म मा ा, वण, रचना, वराम एवं य त संबंधी नयम हो एवं जो स दय को आनं दत कर उसे छंद कहते ह।
  • 5. छ द का ाचीनतम उ लेख ऋ वेद म ा त होता है । छंद शा के वतक - आचाय प ल (छ दः सू ) आचाय पगल ने अपने छ दः सू म छ द को दो भाग म वभा जत कया है - वै दक छंद एवं लौ कक छंद। आचाय वा मी क के मुख से नसृत सव थम लौ कक छंद अनु ुप-
  • 6. छ द के कार छ द सामा यतः दो कार के होते ह - 1. मा क छ द 2. वा णक छ द 1. मा क छ द- जन छंद के येक चरण म मा ा क सं या एवं म नधा रत होता है जैसे क आया छंद।l 2. वा णक छ द- जन छंद के येक चरण म वण क सं या तथा म नधा रत होता है, उ ह वा णक छंद कहा जाता है। वा णक छ द तीन कार के होते ह- 1. समवृ 2. अ समवृ 3. वषमवृ
  • 7. 1. समवृ - जनके चार चरण म वण क सं या एवं म समान होता है जैसे इं व ा, उप व ा, वंश थ, वसंत तलका इ या द। 2. अ समवृ - जनके थम एवं तृतीय और तीय एवं चतुथ चरण म वण क सं या एवं म समान होता है जैसे क पु पता ा, वयो गनी आ द। 3. वषमवृ - जनके चार चरण म वण क सं या एवं म भ - भ होता है जैसे क गाथा, उद् गाथा आ द।
  • 8. य त -य त का अथ है वराम या व ाम । ोक को पढ़ते समय एक चरण म जतने वण के बाद अ प वराम या थोड़ा कना होता है , उसे य त कहते ह। मा ा - एक वर का उ चारण करने म लगने वाला समय मा ा कहलाता है इस कार लघु या द घ वण के अनुसार मा ा भी लघु या द घ होती है। सं कृ त वां मय म अ, इ, उ, ऋ, लृ- यह 5 वण व है। शेष सभी मा ाएं आ , ई, ऊ, ॠ, ए, ऐ, ओ, औ - सब द घ है। लघु मा ा का मान 1 होता है। लघु या व वण को कट करने के लए ‘I’ का च ह लगाया जाता है । द घ मा ा का मान 2 होता है । द घ या गु वण को कट करने के लए ‘S’ का च ह लगाया जाता है । गण- तीन वण के समूह को गण कहते है । छंद शा म कु ल 8 गण होते है ।
  • 9. आठ गण को एक अ यंत सरल सू के ारा समझा जा सकता है- I । ऽ ऽ ऽ I ऽ I I I ऽ यमाताराजभानसलगम्
  • 10. मा ा लगाते समय यान देने यो य ब
  • 11. आया छ द ल ण- य याः थमे पादे ादश मा ा तथा तृतीयेऽ प। अ ादश तीये चतुथके प चदश साया।। आया एक मा क छंद है अथात् इसम मा ा क गणना होती है । इसके थम चरण म 12 मा ाएं , तीय चरण म 18 मा ाएं , तृतीय चरण म 12 मा ाएं एवं चतुथ चरण म 15 मा ाएं होती है ।
  • 12. अनु ुप छ द ल ण- ोके ष ं गु यं, सव लघु प चमम् | चतु पादयोः वं, स तमं द घम ययोः। अनु ुप या ोक एक वा णक छंद है । जसके येक चरण म 8 वण होते ह । इसके चार चरण म छटा अ र गु तथा पांचवा लघु होता है । सरे और चौथे चरण म सातवां अ र लघु होता है तथा पहले और तीसरे चरण म सातवां अ र गु होता है। उदाहरण-
  • 13. इ व ा द ल ण- “ या द व ा य द तौ जगौ गः।” इ व ा छंद के येक चरण म 11 वण होते ह । येक चरण म मशः तगण,तगण,जगण तथा दो गु वण होते ह । य त पांच वण के बाद होती है। उदाहरण-
  • 14. उप व ा ल ण- उपे व ा जतजा ततोगौ । उप व ा छंद के येक चरण म जगण, तगण, जगण तथा दो गु वण के म से 11 वण होते ह । य त 5 वण के बाद होती है। उदाहरण-
  • 15. उपजा त ल ण-, उपजा त छ द के येक चरण म 11 वण होते ह। यह छंद इं व ा एवं उप व ा दोन का म ण है । चार चरण म से दो चरण म इं व ा और दो चरण म उप व ा हो सकता है अथवा एक चरण म इं व ा और 3 म उप व ा हो सकता है या तीन चरण म इ व ा तथा एक चरण म उप व ा छंद हो सकता है। उदाहरण -
  • 16. वंश थ ल ण- -“जतौ तु वंश थमुद रतमं जरौ” वंश थ छंद म चार चरण म मशः जगण, तगण, जगण तथा रगण के म से 12 वण होते ह । य त 5 वण के बाद होती है । उदाहरण-
  • 17. ! _ त वल बत ल ण- “ त वल बतमाह नभौ भरौ” त वलं बत छंद म येक चरण म मशः नगण, भगण, भगण तथा रगण के म से 12 वण होते ह । य त चार चार वण के बाद होती है। उदाहरण-
  • 18. वसंत तलका ल ण - “उ ा वसंत तलका तभजा जगौ गः। वसंत तलका छंद म चार चरण म मशः तगण, भगण, जगण, जगण तथा दो गु वण के म से 14 वण होते ह । य त 8 और 6 वण पर होती है। उदाहरण-
  • 19. म दा ा ता ल ण- “म दा ा ताऽ बु धरसनगैम भनौ तौ गयु मम्।” मंदा ांता छंद म चार चरण म मगण,भगण, नगण, तगण, तगण तथा दो गु वण के म से 17 वण होते ह । य त 4,6 एवं 7 वण पर होती है। उदाहरण-
  • 20. शख रणी ल ण- “रसै ै छ ा यमनसभलागः शख रणी।” शख रणी छंद म चार चरण म मशः यगण, मगण, नगण, सगण, भगण तथा अंत म एक लघु तथा एक गु वण होता है इस कार इसके येक चरण म 17 वण होते ह । य त छठे और 17 वण पर होती है। उदाहरण-
  • 21. शा ल व डतम् ल ण- “ सूया ैय द मः सजौ सततगाः शा ल व डतम्। शा ल व डतम् छंद के चार चरण म मशः मगण, सगण, जगण, सगण, तगण, तगण तथा अंत म गु वण के म से 19 वण होते ह । य त 12 और 7 वण पर होती है। उदाहरण-
  • 22. धरा ल ण- “ नैयानां येण मु नय तयुता धरा क ततेयम्।” धरा छंद म चार चरण म मशः मगण, रगण, भगण, नगण, यगण, यगण, यगण के म से 21 वण होते ह । य त 7 - 7 वण पर होती है। उदाहरण -
  • 23. अ यास न न ल खत ोक म गण च ह लगाते ए छंद का नधारण क जए।
  • 24. संदभ ंथ वृ र नाकरः, ी के दारभ , ( ा.) ब देव उपा याय , चौखंबा सुरभारती काशन , वाराणसी , 2011 अ य ोत छ दोऽलंकारसौरभम्, डॉ. सा व ी गु ता, व ा न ध काशन, द ली , 2009 भारतीय छ दशा