विश्वास जैसा,परिणाम वैसा | jahan visvas wahan chamatkar |

नमस्कार दोस्तों , पिछले भाग में हमने जाना हमारा विश्वास कैसे काम करता है। लेखक ने साइंस का कुछ उदाहरण दे कर समझाया था। चलिए इसे आगे और समझते हैं।

भाग – 9

आपके मन का नियम विश्वास का नियम है। इसका मतलब है अपने मन की कार्यविधि में विश्वास करना , स्वयं विश्वास पर विश्वास करना। आपके मन का विश्वास और कुछ नहीं , आपके मस्तिष्क का विचार है।

आपका अवचेतन मन आपके विचारों पर प्रतिक्रिया करता है और उन्हीं के अनुरूप अनुभव , कार्यों , घटनाओं तथा परिस्थितियों को उत्पन्न कर देता है। याद रखें , आपको सफलता उस चीज़ के कारण नहीं मिलती है , जिसमे आप विश्वास करते हैं। सफलता तो मन के विश्वास के कारण मिलती है। मानव जाती को जकड़ने वाले झूठे विश्वासों , रायों , अंधविश्वासों तथा डरों को स्वीकार करना बंद कर दें। शाश्वत सत्यों और जीवन की उन सच्चाईओं पर विश्वास करना शुरू करें , जो कभी नहीं बदलती हैं इस मोड पर पहुँचने के बाद आप आगे , ऊपर और ईश्वर की तरफ बढ़ने लगेंगे।

जो लोग इस पुस्तक को पढ़ेंगे और अवचेतन मन के सिद्धांतो पर आस्था के साथ अमल करेंगे , वे वैज्ञानिक तथा कारगर प्रार्थना करने की काबिलियत हासिल करेंगे ; अपने लिए भी और दूसरों के लिए भी। आपकी प्रार्थना का जवाब क्रिया और प्रतिक्रिया के शाश्वत नियम के अनुसार मिलता है। विचार निहित क्रिया है। प्रतिक्रिया आपके अवचेतन मन का वह जवाब है, जो आपके विचार की प्रकृति से मेल खाता है। अपने मन को स्वास्थ्य , सुख , शांति और सद्भाव की अवधारणाओं से भर दें ; आपके जीवन में चमत्कार होने लगेंगे।

मानव मस्तिष्क के दो भाग

आपका मस्तिष्क एक है , लेकिन इसके दो स्पष्ट और विशिष्ट कार्यकारी भाग हैं। इन दोनों का कार्य – विभाजन मस्तिष्क के सभी विद्यार्थियों को काफ़ी अच्छी तरह मालूम है। आपके मस्तिष्क के ये दोनों हिस्से एक – दूसरे से मूलतः अलग हैं। इन दोनों के अपने विशिष्ट गुण और शक्तियाँ हैं , जो एक – दूसरे से अलग हैं।

मस्तिष्क के इन दोनों कार्यों में भेद करने के लिए कई नामों का प्रयोग किया जाता है। जैसे , वस्तुनिष्ठ (objective) और व्यक्तिनिष्ठ (subjective) मन , चेतन और अवचेतन मन , जाग्रत और सुषुप्त मन , सतही और गहरा स्वरूप , स्वैच्छिक और अनैच्छिक मन , पुरुष और स्त्री मन आदि। नाम चाहे जो भी दिया जाए , इससे मस्तिष्क के मूल द्वैत का पता चलता है।

इस पूरी पुस्तक में, मैं आपके मस्तिष्क के दो हिस्सों के लिए चेतन और अवचेतन मन का प्रयोग कर करूँगा। अगर आपको दूसरे शब्द आसान लगतें हों , तो आप उनका प्रयोग कर लें। महत्वूर्ण शुरुआती बात यह है की मस्तिष्क की इस द्वैत प्रकृति को पहचान लिया जाए और स्वीकार कर लिया जाए। …….continue……भाग – 10

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