महज दो साल पहले ट्रेन यात्रियों को पैकेटबंद भोजन मुहैया करने के लिए कई रेस्तरांओं के सहयोग से कारोबार शुरू करने वाले ट्रैवल खाना के सीईओ 41 वर्षीय पुष्पिंदर सिंह को 2013 में आपात स्थिति का सामना करना पड़ा. उन्हें 71 लोगों के खाने का ऑर्डर मिला, जिसे घंटे भर में मुहैया कराना था. ट्रेन यात्री बच्चे थे जिन्हें एक रेस्तरां के जरिए पंजाब के पठानकोट में खाना मुहैया होना था लेकिन रेस्तरां वह नहीं कर पाया था.
टेक्नोलॉजी प्रोफेशनल से उद्यमी बने पुष्पिंदर ने इस मौके को अपनी कंपनी की क्षमता की परीक्षा माना और ट्रेन जब जालंधर पहुंची तो खाना मुहैया करा दिया. इससे भूख से परेशान बच्चों ने राहत की सांस ली. उन्होंने इसे आने वाली ऐसी चुनौतियों से निबटने का मौका भी माना और ऐसी पुख्ता व्यवस्था की कि चाहे नई दिल्ली में किसी विरोध प्रदर्शन से लौट रहे किसी राजनैतिक पार्टी के 4,500 लोगों को भोजन मुहैया करना हो या ट्रेन यात्रा में जन्मदिन मनाने की ख्वाहिश रखने वालों को तैयार केक मुहैया कराना हो, सबका इंतजाम कर लिया. वे कहते हैं, ‘‘हम कहीं भी एक दिन में 3,000 से लेकर 3,500 लोगों के लिए भोजन का इंतजाम कर सकते हैं.’’ वे जल्दी ही 50 लाख डॉलर का फंड उगाहने की योजना बना रहे हैं. गूगल प्लेस्टोर पर उपलब्ध उनकी कंपनी के मोबाइल ऐप को अभी तक 20,000 बार डाउनलोड किया जा चुका है. देश में विभिन्न इलाकों में सक्रिय सैकड़ों उद्यमियों में महज दो लोग हैं. उद्यमशीलता की अगली लहर ऐसी छोटी-छोटी शुरुआतों की चलने वाली है. ये कंपनियां ऐसी समस्याओं का हल लेकर आ रही हैं जिस तरफ बड़ी वैश्विक कंपनियां ध्यान नहीं देतीं. ये ऐसे मौके ताड़ लेती हैं और अपने उत्पाद की व्यापक पहुंच के जरिए बाजार बना लेती हैं.
आइआइटी-मुंबई से पासआउट रजत धारीवाल और मधुमिता की शुरू की गई मैडरैट गेम्स देश की पहली ऑफलाइन बोर्ड गेम्स कंपनी है जिसने 2013-14 में देश भर के स्कूलों में 25,000 गेम्स बेच कर 3 करोड़ रु. की कमाई की. कुणाल शाह, संदीप टंडन और आलोक गोयल की 2010 में शुरू की गई कंपनी फ्रीचार्ज मुफ्त गिफ्ट कूपन के बदले मोबाइल चार्ज करने की सुविधा मुहैया कराती है और उसका लक्ष्य 2015 तक 10 लाख हिट हासिल करने का है. मुंबई और बेंगलुरू में दो दफ्तर और 180 कर्मचारियों के बल पर इन लोगों ने हाल ही में इंटरनेट पर शॉपिंग की साइट फ्रीचार्ज डिलाइट शुरू की है. स्वाति भार्गव और रोहन भार्गव ने नकदी डिस्काउंट साइट ‘‘कैशकरो’’ की शुरुआत की है जो विभिन्न ई-कॉमर्स पोर्टल पर उपलब्ध उत्पादों की कीमत की तुलना करने में मददगार है. इसने 12 माह में उपभोक्ताओं की रुचि सौ फीसदी तक बढ़ाने में कामयाबी पाई. अब इसके 10 लाख सदस्य हैं.
आइटी उद्योग की संस्था नैस्कॉम के मुताबिक, भारत में तेज विकास हो रहा है और वह दुनिया भर में नए कारोबार शुरू करने के मामले में सबसे आगे है. इसकी 2014 की रिपोर्ट के मुताबिक, देश में 3,100 नए कारोबार खुले हैं और हर साल 800 कंपनियां शॉप खोल रही हैं. देश में 2020 तक 11,500 नए कारोबार हो जाएंगे, जिनमें 2.5 लाख से ज्यादा लोगों को रोजगार मिलेगा. एंजेल इन्वेस्टर्स अब छोटी सेवाओं और उत्पादों पर ध्यान केंद्रित कर रहे हैं. नैस्कॉम ऐसे करीब 10,000 अनोखे कारोबारों को फंड मुहैया कराने की योजना बना रहा है.
देश के कुछ कामयाब कारोबारी भी नई कंपनियों को वित्तीय ताकत मुहैया करा रहे हैं. उद्योगपति रतन टाटा का ई-कॉमर्स कंपनियों-स्नैपडील और ऑनलाइन जेवरात शॉप साइट ब्लूस्टोन में-निवेश कुछ महीने पहले सुर्खियों में था, वे अब फिर ऑनलाइन फर्नीचर पोर्टल अर्बन लैडर में निवेश करने की सोच रहे हैं. इन्फोसिस के संस्थापक एन.आर. नारायणमूर्ति ने बेवरेज स्टार्ट-अप हेक्टर और चिकित्सा सेवाएं मुहैया कराने वाली हेल्थस्प्रिंग में निवेश किया है.
यह सफर इतना आसान भी नहीं है, खासकर शुरुआती चरणों में काफी मुश्किल हो सकता है. 31 वर्षीय धारीवाल को इसका बखूबी एहसास है. अपनी कंपनी शुरू करने के कुछ महीने बाद ही मई, 2010 में धारीवाल ने राजस्थान के शिक्षा अधिकारी से बात की. उन्हें कई राज्यों में स्कूलों में अपने गेम्स बेचने के लिए मंजूरी की जरूरत थी. उन्हें शुरू में काफी इंतजार करना पड़ा लेकिन आखिरकार मुलाकात हुई तो धारीवाल ने हर हाल में मंजूरी हासिल कर ली. अपने दोस्तों और परिवारवालों से जुटाई 35 लाख रु. की मूल पूंजी से शुरू की गई कंपनी से अब धारीवाल 80 विभिन्न किस्म के उत्पाद बेचते हैं.
नए किस्म के कारोबार में निवेश करने के अपने मकसद को बताते हुए फ्लिपकार्ट के सह-संस्थापक सचिन बंसल कहते हैं, ‘‘जरूरत के वक्त लोगों की वित्तीय मदद करके हमें नई टीम से जुडऩे का मौका भी मिलता है. इस तरह नए अनुभव भी होते हैं.’’
नए कारोबार को वित्तीय मदद के चैनल खुलने से नए किस्म के कारोबार में देश भर में नया उत्साह दिख रहा है. इस तरह 2015 इस क्षेत्र के लिए उत्साहजनक साबित होने वाला है. छोटे उद्यमों को बड़े कारोबार मदद दे रहे हैं तो भारत में नए उद्यमियों के लिए माहौल बेहद अनुकूल हो गया है.