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नेताओं को बंगला आवंटित होने के क्या हैं नियम, कितना है किराया?

प्रियंका गांधी का बंगला लोधी एस्टेट इलाके में है. यहां पर टाइप 6-7 कैटेगरी के बंगले होते हैं. ये बंगले सिर्फ उन लोगों के लिए अलॉट होते हैं जो पांच बार सांसद रहे हों या फिर सांसद बनने से पहले किसी भी राज्य में मुख्यमंत्री या राज्यपाल का पद संभाला हो.

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कैसे मिलता है सरकारी बंगला?
कैसे मिलता है सरकारी बंगला?

  • प्रियंका गांधी को राजीव गांधी की हत्या के बाद दी गई थी SPG सुरक्षा
  • जिन्हें SPG सुरक्षा मिलती है उन्हें सरकारी आवास दी जाती है

कांग्रेस पार्टी की राष्ट्रीय महासचिव प्रियंका गांधी को नई दिल्ली स्थित सरकारी बंगला खाली करना होगा. केंद्रीय शहरी विकास मंत्रालय ने बुधवार को इस संबंध में प्रियंका गांधी को एक नोटिस जारी किया है. जिसके तहत कांग्रेस महासचिव को एक अगस्त तक दिल्ली के लोधी एस्टेट स्थित सरकारी बंगला छोड़ने को कहा गया है. प्रियंका गांधी को यहां पर 1997 से ही टाइप-6 कैटेगरी का बंगला मिला हुआ था. प्रियंका गांधी इस बंगले के लिए 37 हजार रुपये प्रति महीने का किराया दे रही थीं.

प्रियंका गांधी का बंगला लोधी एस्टेट इलाके में है. यहां पर टाइप 6-7 कैटेगरी के बंगले होते हैं. ये बंगले सिर्फ उन लोगों के लिए अलॉट होते हैं जो पांच बार सांसद रहे हों या फिर सांसद बनने से पहले किसी भी राज्य में मुख्यमंत्री या राज्यपाल का पद संभाला हो.

प्रियंका को सुरक्षा के आधार पर मिला था बंगला

हालांकि प्रियंका गांधी इनमें से किसी कैटेगरी में नहीं आती हैं, लेकिन उन्हें स्पेशल प्रोटेक्शन ग्रुप यानी SPG सुरक्षा प्रदान की गई थी. इसलिए वो यहां पर रह रही थीं. पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी की हत्या के बाद से उनके पूरे परिवार को SPG सुविधा दी गई थी.

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गौरतलब है कि 21 मई, 1991 को श्रीपेरंबदूर में एक धमाके में राजीव गांधी की मौत हो गई थी. तभी से उनके पूरे परिवार को ये सुविधा मिल रही थी. लेकिन 2019 में केंद्र सरकार ने गांधी परिवार को मिलने वाली SPG सुरक्षा को हटाकर उन्हें Z+ सुरक्षा दी. जो सेंट्रल रिजर्व पुलिस फोर्स के जिम्‍मे है. लेकिन Z प्लस सुरक्षा में बंगला नहीं मिलता है.

लोकसभा पूल में कुल 517 घर

लोकसभा पूल में कुल 517 घर हैं जिनमें टाइप-आठ बंगलों से लेकर छोटे फ्लैट तक हैं. हॉस्टल भी हैं. बंगला अलॉट करने संबंधित सभी फैसले हाउस कमेटी लेती है. उन्हें विभिन्न श्रेणियों में उपलब्ध फ्लैटों और इनके लिए मिले आवेदनों की संख्या के आधार पर फैसला लेना होता है.

लोकसभा पूल के लिए उपलब्ध रिहाइशी ठिकानों में 159 बंगले, 37 ट्विन फ्लैट, 193 सिंगल फ्लैट, 96 बहुमंजिला इमारतों में फ्लैट और 32 इकाइयां सिंगुलर रेगुलर ठिकानों की हैं. ये सारे आवास सेंट्रल दिल्ली के नार्थ एवेन्यू, साउथ एवेन्यू, मीना बाग, बिशम्बर दास मार्ग, बाबा खड़क सिंह मार्ग, तिलक लेन और विट्ठल भाई पटेल हाउस में हैं.

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टाइप 8 बंगला

टाइप 8 बंगला, सबसे उच्च श्रेणी का माना जाता है. यह लगभग तीन एकड़ (थोड़ा कम-ज्यादा भी) का होता है. इन बंगलों की मुख्य बिल्डिंग में 8 कमरे (5 बेडरूम, 1 हॉल, 1 बड़ा डाइनिंग रूम और एक स्टडी रूम) होते हैं. इसके अलावा कैम्पस में एक बैठकखाना और बैकसाइड (कैम्पस के अंदर ) में एक सर्वेन्ट क्वार्टर भी होता है. आम तौर पर टाइप 8 बंगला कैबिनेट मंत्रियों, सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश, पूर्व प्रधानमंत्री/राष्ट्रपति/उपराष्ट्रपति (अथवा इनके जीवित पत्नी/पति) और वरिष्ठतम नेताओं को आवंटित किया जाता है. टाइप 8 बंगले जनपथ, त्यागराज मार्ग, कृष्णमेनन मार्ग, अकबर रोड, सफदरजंग रोड, मोतीलाल नेहरू मार्ग और तुगलक रोड पर हैं.

टाइप 7 बंगला

टाइप 7 बंगला का रकबा एक से डेढ़ एकड़ के बीच होता है. इसमें टाइप 8 बंगलों की तुलना में एक बेडरूम कम ( 4 बेडरूम) होता है. ऐसे बंगले अशोका रोड, लोधी इस्टेट, कुशक रोड, कैनिंग लेन, तुगलक लेन आदि में हैं. इस प्रकार के बंगले अक्सर राज्य मंत्रियों, दिल्ली हाईकोर्ट के न्यायाधीशों, कम से कम पांच मर्तबा सांसद रहे व्यक्तियों को आवंटित होता है. राहुल गांधी जिस तुगलक लेन के बंगले में रहते हैं, वह टाइप 7 ही है.

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नए सांसदों को टाइप-5 बंगला मिलता है

पहली बार सांसद बनने वाले लोगों को आम तौर पर टाइप-5 आवास मिलता है. हालांकि नई शर्तों के मुताबिक, उन्हें टाइप-6 आवास भी मिल सकता है. इसके लिए उन्हें कुछ शर्तें तय करनी पड़ती है. इनमें पहले विधायक या राज्य सरकार में मंत्री बनने की शर्तें शामिल हैं.

टाइप फाइव निवास में चार श्रेणियां हैं. टाइप फाइव (ए) के तहत एक ड्राइंग रूम और एक बेडरूम सेट आवंटित किया जाता है. वहीं टाइप फाइव (बी) में एक ड्राइंग रूम और दो बेडरूम सेट मिलता है. जबकि टाइप फाइव (सी) में ड्राइंग रूम और तीन बेडरूम सेट दिया जाता है. वहीं टाइप फाइव (डी) में ड्राइंग रूम और चार बेडरूम सेट मिलता है.

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सांसदों के रहने के लिए संयुक्त फ्लैट टाइप फाइव (ए/ए), संयुक्त फ्लैट टाइप फाइव (ए/बी) और संयुक्त फ्लैट टाइप फाइव (बी/बी) भी उपलब्ध हैं.

किराए को लेकर क्या है नियम?

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सांसदों को रहने के लिए केंद्र सरकार आवास मुहैया कराती है. अगर किसी सांसद को घर आवंटित नहीं किया गया है और वो दिल्ली आकर किसी होटल में ठहरते हैं तो उसका किराया भी सरकार की तरफ से दिया जाता है. अगर कोई पूर्व सांसद किसी सरकारी आवास में रह रहे होते हैं तो फिर उन्हें मार्केट रेट के हिसाब से किराया चुकाना होता है.

इतना ही नहीं सांसदों को फ्लैट्स और बंगले के रखरखाव के लिए भत्ता भी दिया जाता है. अगर खर्च 30 हजार से ज्यादा हुआ है तो फिर शहरी विकास मंत्रालय की तरफ से फंड अप्रूव किया जाता है. वहीं 30 हजार तक के खर्च का अप्रूवल हाउस कमिटी कर सकती है.

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