जन-गण-मन कब और कैसे बना राष्ट्रगान? जानिए इसका इतिहास

27 Dec 2023

आज ही के दिन यानी 27 दिसंबर को पहली बार भारत का राष्ट्रगान जन-गण-मन गाया गया था. हालांकि, इसे 24 जनवरी 1950 को राष्ट्रगान के रूप में अपनाया गया था.

राष्ट्रगान का इतिहास

हमारे राष्ट्रगान के रचयिता नोबेल पुरस्कार विजेता श्री रवींद्रनाथ टैगोर हैं. आज से ठीक 112 साल पहले 27 दिसंबर 1911 को पहली बार जन-गण-मन को सार्वजनिक मंच पर गाया गया था. 

राष्ट्रगान को पहली बार कलकत्ता में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के अधिवेशन में गाया गया था, लेकिन उस समय इसे राष्ट्रगान घोषित नहीं किया गया था. 

कांग्रेस अधिवेशन में जन-गण-मन को रविंद्रनाथ टैगोर की भांजी ने गाया था. उन्होंने इसे बंगाली भाषा में गाया था. टैगोर ने राष्ट्रगान को साल 1905 में बंगाली भाषा में लिखा था. 

रविंद्रनाथ टैगोर ने भरतो भाग्यो बिधाता शीर्षक से बंगाली भजन लिखा था. उसी का पहला छंद हमारे देश का राष्ट्रगान बना. उन्होंने खुद पहली बार इसे साल 1919 में आंध्र प्रदेश के बेसेंट थियोसोफिकल कॉलेज में गाया था.

सुभाष चंद्र बोस के कहने पर आबिद अली ने इसे उर्दू में रूपांतरित किया था. उसके बाद इसे अंग्रेजी में भी ट्रांसलेट किया गया था और फिर ये हिंद सेना का नेशनल एंथम बना. 

जन-गण-मन को हिंदी में रूपांतरित करने के बाद 24 जनवरी 1950 को आजाद भारत की संविधान सभा ने इसे राष्ट्रगान के रूप में घोषित किया था. 

आजादी की रात को संविधान का समापन जन-गण-मन से ही हुआ था. साल 1947 में न्यूयॉर्क में संयुक्त राष्ट्र महासभा की बैठक में इसकी रिकॉर्डिंग सुनाई गई थी. 

पूर्व प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ने अपनी एक चिट्ठी में इस बात का जिक्र भी किया था कि जब आर्केस्ट्रा पर इसकी धुन गूंजी तो दुनियाभार के प्रतिनिधियों ने हमारे राष्ट्रगान को सराहा था. 

24 जनवरी 1950 को भारत के प्रथम राष्ट्रपति राजेंद्र प्रसाद ने आधिकारिक रूप से जन-गण-मन को राष्ट्रगान और वंदे मातरम को राष्ट्रगीत घोषित किया था.