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आज का शब्द: आकर्षण और द्वारिका प्रसाद माहेश्वरी की कविता- आलंबन चुम्बकी तुम्हारा

आज का शब्द
                
                                                         
                            'हिंदी है हम' शब्द शृंखला में आज का शब्द है- आकर्षण, जिसका अर्थ है- वह गुण की जिसके फलस्वरूप लोग किसी वस्तु, व्यक्ति, स्थान आदि की ओर खिंचे चले आते हैं। प्रस्तुत है द्वारिका प्रसाद माहेश्वरी की कविता- आलंबन चुम्बकी तुम्हारा 
                                                                 
                            

आकर्षण तो बहुत तुम्हारा
लेकिन मेरी भी मजबूरी;
कैसे मैं तय करूँ बताओ
धरती-आसमान की दूरी?

पता-ठिकाना सही तुम्हारा
अब तक कोई बता न पाया;
पता लगा तो इतना ही बस
तुमने मुझको भी बुलवाया।
आमंत्रण तो बहुत तुम्हारा
लेकिन मेरी भी मजबूरी;
सोच रहा-अब तक क्यों तुमने
पाती की की रस्म न पूरी?॥1॥

देखा नहीं अभी तक तुमको
लेकिन जो कुछ सुना-गुना है;
उससे ही मानस-दर्पण में
एक तुम्हारा बिम्ब बना है।
सम्मोहन वह बहुत तुम्हारा
लेकिन मेरी भी मजबूरी;
तब से ही मैं समाधिस्थ हूँ
किंतु समाधि लगे तो पूरी?॥2॥

यह तो है अनुभूति मूर्ति तुम
सत्य-शिव-सुंदरम् की हो;
वेद-ऋचाओं सी मंगलमय
ध्वनि तुम विश्वमंगलम् की हो।
अनुभावन यों बहुत तुम्हारा
लेकिन मेरी भी मजबूरी;
कैसे व्यक्त करूँ भावां को
भाषा में सामर्थ्य न पूरी॥3॥ आगे पढ़ें

2 महीने पहले

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