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वैशाख महीने के आखिरी दो दिन खास:25 को भगवान नरसिंह, 26 मई को होगी कूर्म और बुद्ध अवतार की पूजा

3 वर्ष पहले
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  • 26 मई को वैशाख पूर्णिमा पर रहेगा आंशिक चंद्रग्रहण, लेकिन इसका सूतक और अशुभ असर नहीं रहेगा

वैशाख महीने में भगवान विष्णु के तीन अवतारों का प्रकटोत्सव मनाया जाता है। भगवान नृसिंह प्राकट्योत्सव 25 मई यानी आज और कूर्म (कच्छप ) प्राकट्योत्सव कल मनाया जाएगा। 26 मई को बुद्ध जयंती के साथ पूर्णिमा भी मनाई जाएगी। इन अवतारों के कारण वैशाख शुक्ल पक्ष को धार्मिक दृष्टि से विशेष शुभ माना गया है। वैशाख पूर्णिमा पर स्नान-दान और पूजा-पाठ से हर तरह के दोष खत्म हो जाते हैं। इस बार इस पूर्णिमा पर चंद्रग्रहण भी होगा। लेकिन इसका असर भारत में नहीं होगा।

25 मई, मंगलवार: नरसिंह प्राकट्य दिवस
पद्म पुराण में बताया है कि प्राचीन समय में वैशाख महीने के शुक्लपक्ष की चतुर्दशी तिथि पर भगवान नरसिंह प्रकट हुए थे। ये भगवान विष्णु का चौथा अवतार था। कथा के मुताबिक राक्षस हिरण्यकशिप का पुत्र प्रहलाद भगवान विष्णु का भक्त था। इसीलिए हिरण्यकशिप प्रहलाद पर अत्यचार करता था और कई बार उसे मारने की कोशिश भी की। भगवान विष्णु ने अपने भक्त को बचाने के लिए एक खंबे से नरसिंह रूप में अवतार लिया। इनका आधा शरीर सिंह और आधा इंसान का था। इसके बाद भगवान नरसिंह ने हिरण्यकशिप को मार दिया।

26 मई, बुधवार: कूर्म प्राकट्य दिवस और बुद्ध पूर्णिमा
कूर्म जयंती 26 मई को मनाई जाएगी। देवताओं और राक्षसों के समुद्र मंथन के समय भगवान विष्णु ने कूर्म यानी कछुए का रूप धारण कर के मंदराचल पर्वत को अपनी पीठ पर टीकाया था। भगवान विष्णु ने कूर्म (कच्छप) अवतार लेकर सृष्टि को आगे बढ़ाया। उनके एक हजार सिर, दो हजार आखें थीं। उन्होंने अपनी शक्ति से सृष्टि की रक्षा की। ये भगवान विष्णु का दूसरा अवतार था। 26 मई को ही बुद्ध जयंती के साथ-साथ पूर्णिमा का शुभ दिन भी है।

26 मई, बुधवार: बुद्ध पूर्णिमा
भगवान बुद्ध को विष्णुजी का नवां अवतार माना गया है। गौतम बुद्ध का जन्म 2564 साल पहले लुंबिनी में हुआ था। लुंबिनी नेपाल में है। हर साल वैशाख महीने की पूर्णिमा को बुद्ध जयंती मनाई जाती है। भगवान बुद्ध ने बौद्ध धर्म की स्थापना की थी। उन्होंने समाज को हिंसा से दूर रहने के साथ अहिंसा और करुणा का संदेश दिया था।

खगोलीय घटना: 26 मई को आंशिक चंद्रग्रहण
26 मई को आंशिक चंद्रग्रहण की खगोलीय घटना होगी। इसका वैज्ञानिक और धार्मिक महत्व अलग है। खगोल शास्त्रियों का कहना है कि इस दिन ये ग्रहण खत्म होते वक्त देश के उत्तर-पूर्वी राज्यों में थोड़ी देर के लिए दिखाई देगा। लेकिन इसका असर देश के अन्य जगहों पर नहीं पड़ेगा। इसलिए पूर्णिमा तिथि पर होने वाले स्नान-दान और पूजा-पाठ दिनभर किए जा सकते हैं।

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