बच्चे बड़े हो गए, अब काम का वक्त:35 साल से ऊपर की महिलाएं ये ट्रेनिंग कर के शुरू कर सकती हैं काम

3 वर्ष पहले
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मधुरिमा तिवारी ग्रेटर नोएडा में रहती हैं। उनकी उम्र 38 साल है। उनकी बड़ी बेटी बेंगलुरु से ग्रेजुएशन कर रही है और दूसरी बेटी नोएडा में ही आठवीं में है। दोनों बेटियां अपना ख्याल खुद रख लेती हैं। उनके पति कंस्ट्रक्‍शन के क्षेत्र में प्राइवेट नौकरी करते थे, कोरोना काल में उनकी नौकरी चली गई। अब उनके पति ने फिर से नौकरी शुरू कर दी है, लेकिन मधुरिमा चाहती हैं कि वो भी घर चलाने में अपने पति की मदद करें।

मधुरिमा ने बताया कि वो पहले स्कूल में पढ़ाती थीं, लेकिन बच्चियों के जन्म के बाद उनका पढ़ाना बंद हो गया। अब काफी समय हो गया है, स्कूलों में पढ़ाना अब उनके लिए आसान नहीं है। वह करीब दो सालों से प्रयासरत हैं। उन्होंने डिजिटल मार्केटिंग का कोर्स भी कर लिया है, लेकिन इस काम के लिए वो खुद को बहुत सहज नहीं पाती हैं। अंग्रेजी को लेकर कई बार चुनौती का सामना करना पड़ता है। अब मधुरिमा चाहती हैं कि उन्हें कुछ ऐसे रास्ते बताएं जाएं जिससे उनको आसानी से काम मिल जाए।

उनकी समस्या के समाधान के तौर पर करियर काउंसलर जतिन चावला कहते हैं कि चाइल्ड डे केयर चलाने की ट्रेनिंग, MSME से स्वरोजगार की ट्रेनिंग, नैनी बनने की ट्रेनिंग, ब्राइडल स्टूडियो चलाने की ट्रेनिंग या ऑनलाइन किचन चलाने की ट्रेनिंग लेने से शायद मधुरिमा के लिए चीजें आसान हो जाएं।

चाइल्ड डे केयर चलाने की ट्रेनिंग

चाइल्ड डे केयर की ट्रेनिंग के लिए सबसे मुफीद तरीका ये है कि आप पहले से चल रहे किसी चाइल्ड डे केयर सेंटर में जाकर कुछ दिनों तक इंटर्नशिप कर लें। वाराणसी में सुधांशू चाइल्ड डे केयर चलाने वाले सुधांशू कहते हैं कि इस क्षेत्र में इंटर्नशिप आसानी से मिल जाती है, क्योंकि इससे चाइल्ड डे केयर को चलाने के लिए एक और आदमी मिल जाता है। साथ ही उसे अलग से कुछ भुगतान भी नहीं करना पड़ता। अगर आपके पास एक बेहतर जगह है, जहां आसानी से बच्चों को रखा जा सकता है तो तीन महीने तक की इंटर्नशिप के बाद आप अपना डे केयर शुरू कर सकती हैं। इसमें समय के साथ पैसे बढ़ते जाते हैं। भोपाल में 2500 रुपए से लेकर पांच हजार रुपए महीने तक एक बच्चे की फीस ली जाती है। एक चाइल्ड केयर में 25 से 30 बच्चों को आसानी से रखा जा सकता है।

MSME से स्वरोजगार की ट्रेनिंग

मध्यप्रदेश के सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम विभाग मंत्री ओमप्रकाश सखलेचा ने पिछले साल दिसंबर में कहा था कि मंत्रालय स्वरोगार से जुड़ी सभी स्कीम्स को एक ही अंब्रेला के तहत लाने की तैयारी कर रहा है। दरअसल, इसके तहत सरकार कम ब्याज दरों पर अपने रोजगार शुरू करने के लिए बैंक से लोन दिलाती है, लेकिन रोजगार कैसे चलेगा, इसके लिए पहले कुछ वक्त ट्रेनिंग भी देती है। इसका दायरा बड़ा होता है। हालांकि ज्यादातर महिलाएं ब्यूटी पार्लर, सिलाई, पशुपालन, अचार-पापड़ निर्माण और नेटवर्किंग जैसे बिजनेस शुरू करने पर फोकस करती हैं।

नैनी बनने की ट्रेनिंग

मिया-बीवी दोनों के वर्किंग होने की वजह से बच्चों की देखरेख के लिए अब आया यानी नैनी रखने का चलन बढ़ा है। साथ ही अपने बूढ़े मां-बाप के लिए भी आया रखने चलन बढ़ा है। एक इंटरव्यू में शाहरुख खान ने बताया था कि उनके बेटे अबराम ने जब एक दिन उन्हें पुकारा था, तो उन्हें लगा कि उसका अंदाज किसी केरल के बच्चे जैसा है। उसने नए अंदाजा में पाप और मम्मा कहना शुरू कर दिया था। उन्होंने गौर किया तो पाया कि अबराम के बात करने की टोन उनकी नैनी जैसी हो गई है। शाहरुख के घर में काम करने वाली नैनी केरल की रहने वाली हैं।

यही नहीं विदेश में जाकर अपना अच्छा भविष्य बनाने और सेटल होने के लिए नैनी का कोर्स एक अच्छा विकल्प साबित हो रहा है। अमृतसर में ब्रिटिश एंड अमेरिकन इंस्टीट्यूट के सेंटर हेड जोसेफ ने बताया की नैनी का कोर्स मात्र छह माह की अवधि का है और इसे करके कोई भी बड़े आराम से विदेश जाकर अच्छी नौकरी ही नहीं पा सकता बल्कि वहां पर पूरी तरह सेटल भी हो सकता है। उन्होंने यह भी बताया कि इस कोर्स के दौरान 15 दिन की प्रैक्टिकल ट्रेनिंग भी दी जाती है। कोर्स के बाद आमतौर पर 15 हजार रुपए महीने से लेकर 40 हजार रुपए महीने तक की नौकरी मिलती है।

ब्राइडल स्टूडियो चलाने की ट्रेनिंग

करियर काउंसलर जतिन चावला बताते हैं कि बहुत से लोगों को 35 साल तक की उम्र पूरी करने के बाद नई चीजों को सीखने में दिक्कत होती है। इसलिए आगे बढ़ने की सोच रखने वाली महिलाएं भी कई बार कुछ काम करने के बाद थक जाती हैं। मन न लगने की बड़ी समस्या होती है, क्योंकि वो 35 सालों से वो अपनी जिंदगी में एक ही रूटीन फॉलो कर रही होती हैं। यहां वही ट्रेनिंग ज्यादा प्रभावशाली होती है जिसमें काम करने के दौरान किसी अन्य से उनकी बातचीत होती रहे।

मतलब कि सेवा क्षेत्र का काम हो। ऐसे में महिलाएं ब्राइडल स्टूडियो को अच्छा करियर बना सकती हैं। इसमें दुल्हन को सजाना होता है। इस काम में मन लगने की उम्मीद ज्यादा होती है। इसकी ट्रेनिंग के लिए आप किसी भी ब्राइडल स्टूडियो में जाकर इंटर्नशिप कर सकती हैं। भोपाल में 100 से अधिक ऐसे स्टूडियो हैं। करीब हर शहर में अब ऐसे स्टूडियो खुले हुए हैं। यहां पर एक सीजन काम करने के बाद अगला सीजन आप अपने लिए सोच सकती हैं। एक बार इस फील्ड में नेटवर्क बन जाने के बाद आपको काम अपने आप काम मिलने लगता है।

ऑनलाइन किचन चलाने की ट्रेनिंग

कोरोना काल के बाद रेस्टोरेंट में लगातार खाने की आदत कम हुई है। साथ ही अब हेल्थ को लेकर लोग सचेत हुए हैं, जिसके चलते घर से बाहर रहने वाले लोग भी चाहते हैं कि कोई उन्हें घर का खाना बनाकर दे। इसलिए तेजी से ऑनलाइन किचन का चलन बढ़ा है।

कई आम महिलाओं ने अपने घर में खाना बनाना शुरू किया है। क्षेत्र में कई बदलाव भी हो रहे हैं, इसलिए अब महिलाओं को खाना पहुंचाने की जिम्मेदारी खुद नहीं लेनी पड़ती। कई छोटी-छोटी कंपनियां या स्टार्ट-अप इसकी जिम्मेदारी लेने को तैयार हैं। महिलाओं को बस खाना बनाकर ही देना होता है। नौकरी डॉट कॉम, शाइन डॉट कॉम यहां तक कि लिंक्ड-इन पर किचन जॉब्स के लिए नौकरियां मिलने लगी हैं। इसलिए आपको बस खाना बनाने की स्किल को साबित करना है।

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