शशि सिंघल
डॉ. अंजु दुआ जैमिनी का हाल ही में प्रकाशित काव्य संग्रह ‘हैंगओवर, कटिंग-चाय का’ जीवन के विभिन्न पहलुओं का हैंगओवर है। कड़क चाय-सी जिंदगी की हकीकत को चुस्की लेकर पीना और उसकी कड़वाहट को मीठा मान लेना ही जीवन जीना है। अंजु दुआ जैमिनी ने अपने काव्य-संग्रह में यही दर्शाया है। लगभग सौ कविताओं से सुसज्जित इस संग्रह के माध्यम से कवयित्री ने सच दिखाने के साथ हौसला अफजाई की है। कहीं डर दिखाया है तो हिम्मत भी नहीं खोई है। कवयित्री का मानना है कि अंधेरे को चीर कर ही उजाले में पहुंचा जा सकता है।
काव्य-संग्रह की शुरुआत शीर्षक नाम ‘हैंगओवर’ कटिंग-चाय से हुई है, जिसमें जिंदगी को कुछ मीठी-कुछ कड़क, हम प्याली व कटिंग चाय-सा माना है, जिसका हैंगओवर एक पल भी न उतरे। सच को ढूंढ़ने निकली कवयित्री को सच अपने मन के गुलिस्ता में ही मिलता है। सच की खोज, सधना होगा, अभिशप्त, बेसहारा, सफर बाकी मुझमें, साया, सुरमई शाम, अब सब कुछ, बर्फीली बिटिया, नया साल, कमाऊ लड़कियां, साहित्यकार सूर्य-सा आदि ऐसी अनेक कविताएं हैं जो तमाम मुश्किलात से जूझते-उलझते मानव जीवन की गाथा बयां कर रही हैं। वैसे भी मानव जीवन सुख-दुख, आशा-निराशा, प्रेम-बिछोह, धर्म-अधर्म, जोश-होश जैसी विभिन्न भाव-भंगिमाओं के इर्द-गिर्द ही घूमता रहता है।
कवयित्री की कलम से कोरोना काल अनछुआ नहीं रहा है। सोचा न कभी, भागेगा कोरोना, में लोगों के दुख, कष्ट, लोभ, क्षोभ, घृणा व दया का जिक्र करने के साथ कहा है कि इंसान में राम और रावण दोनों होते हैं। जरूरत है तो बस रावण रूपी व्यवहार पर लगाम कसने की।
कविताएं छोटी-छोटी हैं लेकिन शब्दों का चयन इतना सरल व सहज है कि कवयित्री के मन के भाव व जज्बात पाठकों के अंतर्मन को आसानी से छू सकेंगे।
पुस्तक : हैंग ओवर, कटिंग-चाय का कवयित्री : डॉ. अंजु दुआ जैमिनी प्रकाशक : अयन प्रकाशन, नयी दिल्ली पृष्ठ : 144 मूल्य : रु. 320.