पर्यावरण में करियर

By: Apr 3rd, 2019 12:08 am

यदि आप पर्यावरण से प्रेम करते हैं और चारों ओर हरा-भरा देखना चाहते हैं तो एन्वायरनमेंटल साइंस आपके लिए बेहतर विकल्प साबित हो सकती है। बतौर एन्वायरनमेंटलिस्ट आप इसमें लंबी रेस का घोड़ा बन सकते हैं। पृथ्वी पर जीवन का स्रोत पर्यावरण ही है। इसकी बदौलत हमें भोजन, कपड़ा सहित अन्य जीवनोपयोगी वस्तुएं जैसे पानी, वायु और प्रकाश आदि मिलती हैं। प्रकृति के साथ जब तक मानव का संतुलन बना रहता है, तब तक सब कुछ लाभकारी रहता है। लेकिन पिछले कुछ सालों में तेजी से बढ़ते औद्योगिकीकरण व शहरीकरण से यह संतुलन गड़बड़ा गया है। परिणामस्वरूप हमें कई तरह की आपदाओं व शारीरिक समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है। निश्चित तौर पर पिछले कुछ सालों में सरकारी तथा व्यक्तिगत स्तर पर इस दिशा में काफी कार्य हुए हैं। स्कूल व विश्वविद्यालय स्तर पर पर्यावरण को एक विषय के रूप में शामिल कर लोगों को इसके महत्त्व, दुरुपयोग तथा उससे उपजे दुष्परिणामों के बारे में बताया जा रहा है। मल्टीनेशनल कंपनियां इसकी रोकथाम में सहयोग कर रही हैं। कई एनजीओ इसमें काम कर रहे हैं। लोगों को भी अब यह लगने लगा है कि यदि प्रकृति द्वारा प्रदत्त संसाधनों का लगातार दुरुपयोग किया गया तो वह दिन दूर नहीं,जब भीषण धन-जन की हानि होगी। लोगों की जागरूकता एवं समय की मांग ने इसे एक करियर के रूप में स्थापित कर दिया है, जिसे एन्वायरनमेंटल साइंस यानी पर्यावरण विज्ञान का नाम दिया गया है। यह विज्ञान की एक ऐसी शाखा है, जिसमें पर्यावरण के विभिन्न अवयवों का अध्ययन किया जाता है। विशेषज्ञों का मानना है कि पर्यावरण विज्ञान के जरिए पर्यावरण संबंधी समस्याओं को काफी हद तक कम किया जा सकता है।

कार्यक्षेत्र

* साइंटिस्ट * रिसर्चर * इंजीनियर * कंजरवेशनिस्ट * कम्प्यूटर एनालिस्ट * लैब असिस्टेंट * जियो साइंटिस्ट *  प्रोटेक्शन एजेंट * एन्वायरनमेंटल जर्नलिस्ट

कौन हैं एन्वायरनमेंटलिस्ट

पर्यावरण विज्ञान मूल रूप से ऊर्जा संरक्षण, जैव विविधता, जलवायु परिवर्तन, भूजल, वायु व जल प्रदूषण, औद्योगिक प्रदूषण व प्लास्टिक के जोखिम को दूर करने के लिए विकसित की गई प्रौद्योगिकियों का अध्ययन है। यह कार्य जिनके द्वारा किया जाता है, उन्हें एन्वायरनमेंटलिस्ट या पर्यावरणविद कहा जाता है। इनका पर्यावरण सुरक्षा संबंधी कार्य साइंस व इंजीनियिरग के विभिन्न सिद्धांतों के प्रयोग से आगे बढ़ता है। एक तरह से देखा जाए तो एन्वायरनमेंटलिस्ट का कार्य रिसर्च ओरिएंटेड होता है। इसमें उसे प्रशासनिक, सलाहकार व सुरक्षा तीनों स्तरों पर काम करना पड़ता है।

पर्यावरण सुरक्षित, तो हम सुरक्षित

पर्यावरण से ही पृथ्वी पर जीवन सुरक्षित है। यदि पर्यावरण सुरक्षित नहीं है, तो पृथ्वी पर हमारा जीवन संकट में पड़ जाता है। हाल ही में हम कई आपदाओं से रू-ब-रू हुए हैं। उत्तराखंड की त्रास्दी पर्यावरण से छेड़छाड़ का ही नतीजा है। प्रकृति हमेशा से मनुष्य की दोस्त रही है, पर मनुष्य आरंभ से ही प्रकृति से छेड़छाड़ करता आया है और उसका परिणाम वह भुगतता भी रहा है। यदि हमें अपने जीवन को प्राकृतिक आपदाओं से बचाना है, तो हमें पर्यावरण को सुरक्षित रखते हुए प्रकृति से सहयोग करना होगा। हम विकास की दौड़ में विनाश के बीज बोते जा रहे हैं। पेड़ों को काटकर वहां इमारतें बना रहे हैं। हम असली जंगलों को काटकर कंकरीट के जंगल खड़े करते जा रहे हैं। इतना सब कुछ हम जीवन को सुलभ बनाने के लिए कर रहे हैं, पर यह तो हम अपने लिए और ज्यादा मुश्किलें खड़ी कर रहे हैं। सरकार पर्यावरण की सुरक्षा के लिए कई तरह के कार्यक्रम चलाती है। लोगों को इस बारे जागरूक करती है ताकि लोग पर्यावरण के प्रति जागरूक हों। स्कूलों -कालेजों में इससे संबंधित पाठ्यक्रम चलाया जाता है ताकि छात्र शुरू से ही पर्यावरण प्रेमी बनकर प्रकृति से प्रेम करें।

शैक्षिक योग्यता

एन्वायरनमेंटल साइंस के कोर्स इस क्षेत्र की मांग को देखते हुए तैयार किए गए हैं। सबसे ज्यादा प्रचलन में बैचलर व मास्टर कोर्स हैं। बैचलर कोर्स के लिए छात्र का विज्ञान विषय के साथ दस जमा दो उत्तीर्ण होना आवश्यक है। मास्टर में प्रवेश बीएससी व बीटेक के बाद मिलता है। एमफिल व पीएचडी का रास्ता मास्टर कोर्स के बाद खुलता है।

कई तरह से सहायक हैं कोर्स

एन्वायरनमेंटल साइंस से संबंधित जो भी कोर्स हैं, वे अपने अंदर कई तरह के अवयवों और रोचकता को समेटे हुए हैं। वे न सिर्फ एन्वायरनमेंटल साइंस का गहरा ज्ञान देते हैं बल्कि प्रोफेशनल्स को उस फील्ड में स्थापित करने के लिए कई तरह के कौशल भी प्रदान करते हैं। इसमें उन्हें थ्योरी के साथ-साथ प्रैक्टिकल नॉलेज भी दी जाती है ताकि छात्र आगे चल कर हर तरह की जिम्मेदारी उठा सकें।

आवश्यक स्किल्स

यह एक ऐसा प्रोफेशन है, जिसमें प्रोफेशनल्स को प्रकृति से प्रेम करना सीखना होगा। साथ ही उनमें लॉजिकल व एनालिटिकल माइंड, फोटोग्राफी का शौक, सामान्य ज्ञान की जानकारी, कम्युनिकेशन स्किल्स, रिपोर्ट लिखने का कौशल सहित अन्य कई तरह के गुण आवश्यक हैं। इसके अलावा उनके अंदर भूगोल, बॉटनी, केमिस्ट्री जूलॉजी तथा जियोलॉजी आदि विषयों के प्रति रुचि होनी चाहिए।

रोजगार की संभावनाएं

कई सरकारी और गैर सरकारी एजेंसियां, एनजीओ, फर्म व विश्वविद्यालय और कालेज हैं, जहां इन प्रोफेशनल्स को विभिन्न पदों पर काम मिलता है। वेस्ट ट्रीटमेंट इंडस्ट्री, रिफाइनरी, डिस्टिलरी, माइन्स फर्टिलाइजर प्लांट्स, फूड प्रोसेसिंग इंडस्ट्री व टेक्सटाइल मिल्स में एन्वायरनमेंटल साइंटिस्ट के रूप में नौकरी मिलती है। रिसर्चर, एन्वायरनमेंटल जर्नलिस्ट व टीचर के रूप में भी कई कंपनियां जॉब देती हैं।

वेतनमान

इस क्षेत्र में रोजगार के साथ-साथ आमदनी भी खूब है। शुरुआती दौर में कोई फर्म ज्वाइन करने पर प्रोफेशनल्स को 25-30 हजार रुपए प्रतिमाह तथा तीन-चार साल का अनुभव होने पर 40-50 हजार रुपए की सैलरी आसानी से मिल जाती है।

तेजी से बढ़ रहा है बाजार

देश में 1980 से भारतीय विश्वविद्यालयों में पर्यावरण से जुड़े कई पाठयक्रम व कार्यक्रम चालू किए गए थे। कई संस्थानों में एन्वायरनमेंटल साइंस के अध्ययन के लिए अलग विभाग भी स्थापित किए गए थे। इसके बाद लोगों में जागरूकता का संचार हुआ और कुशल लोगों की डिमांड होने लगी। एक हालिया सर्वेक्षण की मानें तो विश्व के करीब 132 देश प्रदूषण की समस्या से बुरी तरह से ग्रस्त हैं। भारत भी उनमें से एक है। भारत के करीब 19-20 शहर प्रदूषण की जद में हैं। जहां तक जॉब का सवाल है तो इसमें संभावनाएं दिन-प्रतिदिन बढ़ती जा रही हैं। इस समय इसके जॉब मार्केट की 19 प्रतिशत की दर से ग्रोथ हो रही है और ऐसी संभावना है कि 2020 तक यह वृद्धि बरकरार रहेगी।

बढ़ रही जागरूकता

पिछले कुछ वर्षों से हमारे देश में पर्यावरण को लेकर जागरूकता बढ़ी है। लोगों को लगने लगा है कि यदि जल्द ही संतुलन न बनाया गया तो आने वाले समय में हमें कई तरह की परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है। यही चिंता लिए अंतरराष्ट्रीय एजेंसियां , केंद्र व राज्य सरकारें, इंडस्ट्री,एमएनसी व एनजीओ, रिसर्च इंस्टीच्यूट एन्वायरमेंट फे्रंडली विधि व तकनीक अपना रहे हैं। एन्वायरमेंट हॉट होने के कारण इसकी चर्चा हो रही है। इसके चलते एन्वायरमेंटल साइंटिस्ट या एन्वायरमेंटलिस्ट का स्कोप बढ़ता जा रहा है। इसमें ऐसे कई क्षेत्र हैं, जिनमें जाने के लिए कोर्स के बाद एक छोटी अवधि की रिसर्च या स्पेशलाइजेशन करनी पड़ती है। हालांकि प्राइवेट कंपनियों में नियुक्तियां सरकारी स्तर जितनी नहीं हो पा रही हैं, लेकिन आने वाले समय में यह दृश्य बदल जाएगा। लड़कियां भी इस क्षेत्र में तेजी से आ रही हैं। क्लास में इनकी संख्या लड़कों के बराबर ही देखने को मिल रही है।

प्रमुख शिक्षण संस्थान

* नौणी विश्वविद्यालय, सोलन (हि. प्र.)

* एचपीयू, शिमला (हिमाचल प्रदेश)

* कृषि विश्वविद्यालय, पालमपुर (हि. प्र.)

* जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय, नई दिल्ली

* जामिया मिलिया इस्लामिया, नई दिल्ली

* इंडियन इंस्टीच्यूट ऑफ  एन्वायरनमेंटल मैनेजमेंट, मुंबई

* राजीव गांधी प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय, इंदौर

* गौतम बुद्ध टेक्निकल यूनिवर्सिटी, लखनऊ

* अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय, अलीगढ़

* दिल्ली विश्वविद्यालय, दिल्ली

* सेंट्रल यूनिवर्सिटी हिमाचल प्रदेश

संभावनाओं से भरा है क्षेत्र

पर्यावरण विज्ञान में करियर संबंधी विस्तृत जानकारी प्राप्त करने  के लिए हमने सतीश कुमार भारद्वाज से बातचीत की। प्रस्तुत हैं बातचीत  के मुख्य अंश…

सतीश कुमार भारद्वाज

एचओडी, पर्यावरण विज्ञान विभाग नौणी विवि, सोलन

पर्यावरण शिक्षा का क्या स्कोप है?

आज समस्त विश्व विकास के पथ पर अग्रसर है। इस विकास के साथ-साथ हमारे प्राकृतिक पर्यावरण में भी अंसतुलन पैदा हुआ है। हम अपनी बदलती जीवन शैली से प्राकृतिक पर्यावरण से दूर होते जा रहे हैं। आज हमारी युवा पीढ़ी का अधिकतर समय इनडोर पर्यावरण में बीत रहा है। जिससे इस पीढ़ी की प्राकृतिक संस्थानों के  बारे में जानकारी में कमी आई है। जिसके कारण आज पूरा विश्व पर्यावरण के प्रति सजग हुआ है। पर्यावरण सामाजिक भागीदारी को प्रोत्साहित करने के लिए पर्यावरण शिक्षा की आवश्यकता पर बढ़ावा दिया जा रहा है।

इस फील्ड में करियर के लिए शैक्षणिक योग्यता क्या होती है?

पर्यावरण विज्ञान में करियर बनाने के लिए जमा दो में साइंस सब्जेक्ट में विद्यार्थियों का उत्तीर्ण होना अनिवार्य है।

क्या पर्यावरण विज्ञान में विशेषज्ञ कोर्स किए जा सकते हैं?

पर्यावरण विज्ञान में विशेषज्ञ कोर्स किए जा सकते हैं। इसमें बीएससी,एसएससी व पीएचडी आदि की उपाध्यिां प्राप्त कर पर्यावरण के विभिन्न पहलुओं  का अध्ययन किया जा सकता है।

रोजगार के अवसर किन क्षेत्रों में उपलब्ध होते हैं?

विश्व में आज लगभग सभी क्षेत्रों मे पर्यावरण संबंधी जानकारी की आवश्यकता किसी भी कार्य को करने के लिए होती है। औद्योगिक क्षेत्रों, कृषि क्षेत्र, प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड, अर्बन प्लानिंग, वाटर शेड मैनेजमैंट, राष्ट्रीय हरित अभिकरण एनजीटी, टूरिज्म, एनजीओ सहित कई क्षेत्र हैं, जिनमें पर्यावरण शिक्षा के विशेषज्ञयों के लिए रोजगार अवसर उपलब्ध हैं।

हिमाचल में इससे संबंधित पाठ्यक्रम कहां पढ़ाया जाता है?

हिमाचल प्रदेश में पर्यावरण विज्ञान से संबंधित पाठ्यक्रम डा.वाईएस परमार औद्यानिकी एवं वानिकी विश्वविद्यालय नौणी, जहां पर्यावरण विज्ञान में एमएससी एन्वायरमेंट साइंस तथा एमएससी फोरेस्ट्री एन्वायरमेंट मैनेजमेंट व पीएचडी की डिग्री करवाई जाती है। इसके अलावा केंद्रीय विश्वविद्यालय कांगडा में एमएससी व पीएचडी की डिग्री, पालमपुर व एचपीयू में इस विषय में एमएससी की डिग्री प्राप्त की जा सकती है।

कहीं जॉब मिलने पर आंरभिक वेतन कितना होता है?

इस फील्ड में जॉब मिलने पर आंरभिक वेतन 50 से 60 हजार आसानी से प्राप्त किया जा सकता है।

इस करियर को अपनाने वाले युवा में क्या विशेष गुण होने चाहिए?

इस क्षेत्र में करियर बनाने वाले को नई-नई चुनौतियों से गुजरना पड़ता है। युवाओं को इस क्षेत्र में आने के लिए पर्यावरण के प्रति सजग होना बहुत जरूरी है। इसके अलावा पर्यावरण संबंधी हर विषय की पूरी जानकारी होनी चाहिए। करियर के लिहाज से पर्यावरण विज्ञान में युवाओं को किन चुनौतियों का

सामना करना पड़ता है?

युवाओं को पर्यावरण विज्ञान में हर जानकारी से अपडेट रहना बेहद जरूरी है इसके अलावा पर्यावरण विज्ञान की हर बारिकी को समझना भी आवश्यक है।

– मोहिनी सूद, नौणी


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