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चिंदी चोर | Chindi Chor | Hindi Kahaniya | Moral Stories | Bed Time Story | Hindi Kahani | Hindi Fairy Tales

आज की इस कहानी का नाम है - " चिंदी चोर " यह एक Bedtime Story है। अगर आपको Hindi Kahaniya, Moral Story in Hindi या Bedtime Stories पढ़ें।
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हेलो दोस्तो ! कहानी की इस नई Series में आप सभी का स्वागत है। आज की इस कहानी का नाम है - " चिंदी चोर " यह एक Bedtime Story है। अगर आपको Hindi Kahaniya, Moral Story in Hindi या Bedtime Stories पढ़ने का शौक है तो इस कहानी को पूरा जरूर पढ़ें।

चिंदी चोर | Chindi Chor | Hindi Kahaniya | Moral Stories | Bed Time Story | Hindi Kahani | Hindi Fairy Tales

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 चिंदी चोर 

एक गांव में संपत और कप्तान नाम के दो चोर रहते थे, जो दूसरे गांव में जाकर चोरियां करते थे। लेकिन अपने गांव में बहुत शरीफ बनकर रहते थे।

एक दिन वह घने पेड़ के नीचे आराम कर रहे थे कि तभी पालमपुर गांव के हरिया और बंसी उस पेड़ के पास आकर एक दूसरे से बातें करने लगे। 

हरिया," अरे बंसी भैया ! सुना है कल मुखिया जी की बेटी की बारात शहर से आ रही है। क्या तुम्हारे पास दावत आई है क्या ? "

बंसी," भैया, मेरे घर तो आई है। तुम्हारे घर पर आई है क्या ? "

हरिया," अरे ! कल खुद मुखिया जी मेरे घर पर आये थे और मुझे पूरे परिवार सहित दावत कहकर गए। 

सुना है मुखियाजी अपनी बेटी की शादी बहुत धूम धाम से कर रहे हैं। कल 21 तरह के पकवान बनेंगे खाने में। "

बंसी ," मैंने भी कुछ ऐसा ही सुना है। हरिया भैया, मेरे तो मुँह में अभी से सोच सोचकर पानी आ रहा है। 

अरे मैं तो आज शाम से खाना ही नहीं खाऊंगा। ज्यादा भूख लगेगी तो पूरे 21 पकवान ही पेट भर खा लूँगा, हाँ। "


हरिया ," अरे बंसी भैया ! भावना में बहकर कहीं ज्यादा मत खा लेना वरना पेट खराब हो जायेगा। 

क्या फायदा...? पूरे 21 पकवान के स्वाद के चक्कर में तुम्हे 21 दिन भूखा रहना पड़े। "

बंसी," बात तो तुम बिल्कुल सही कह रहे हो। हरिया भैया, वैसे कुछ भी कहो... आसपास किसी भी गांव में आज तक ऐसी शादी का इंतजाम नहीं किया गया जैसा कल मुखिया जी अपनी बेटी की शादी का कर रहे हैं। "

हरिया," अरे भाई ! लड़का कलेक्टर हैं। मुखिया जी ने इस शादी के लिए अपनी पूरी 10 बीघा जमीन बेची है और वो सारा पैसा शादी में ही खर्च कर देंगे। "

बंसी," चलो हरिया भैया, अभी से तैयारियों में जुट जाते हैं। "

हरिया," बंसी भैया, मुखिया जी के साफ साफ आदेश हैं कि समारोह में अच्छे और ढंग के कपड़े पहनकर आने हैं नहीं तो उनकी नाक कट जाएगी। इसीलिए कल हम दोनों को अच्छे कपड़े पहनने हैं। "

बंसी," सही कहा तुमने, मैंने तो पहले से ही शहर से अपने लिए एक कोट पैंट सिलवा लिया था। चलो अब चलते हैं। "

इतना कहकर वो दोनों वहाँ से चले गए। उनकी बात सुनकर संपत और कप्तान जोकि पेड़ के पीछे उन दोनों की बातें चुपके चुपके से सुन रहे थे, उनकी आँखों में चमक आ गई। 

संपत," सुना कप्तान, पालमपुर गांव के मुखिया की बेटी की शादी कलेक्टर से हो रही है। "

कप्तान," इस गांव का नाम सुनो सुनो सा लगता है। "

संपत," अरे बेवकूफ ! ये वही गांव है जहाँ पर कुछ महीनों पहले हमने ज़मींदार की बेटी के दहेज के आभूषण चुराए थे, जो शहर में बहुत महंगे बिके थे। "

कप्तान," याद आ गया... और तुमने उन पैसों में बेईमानी कर ली थी और मुझे मेरे हिस्से से कम पैसे दिए थे। याद आ गया। "

संपत," अबे, मेहनत भी तो मैंने सबसे ज्यादा की थी। तूने क्या किया था ? सिर्फ बारात में खड़े होकर अंग्रेजी में लोगों से बस हाय हैलो करा था। तुम तो कुछ कर ही नहीं रहे थे। "

कप्तान," गांव की लड़कियों से नैन मटक्का कौन कर रहा था भाई ? अगर मैं चेतावनी नहीं देता तो तुम उसी वक्त रंगे हाथों पकड़े जाते और साथ में मैं भी, हाँ। "

संपत," अबे वो सब छोड़। कल उसी गांव के मुखिया की शादी है। "

कप्तान," सही कहा तुमने संपत। इसका मतलब मुखिया ने खूब दान दहेज का प्रबंध भी किया होगा। 

अरे ! जाने किस तरह के पकवान खाने में बनवा रहा है। तो बेटी के लिए सोने के आभूषण कितने महंगे महंगे बनवाए होंगे ? 

हमें किसी भी कीमत पर उन आभूषणों को चुराना होगा, समझा ? "


कप्तान," लेकिन कैसे ? अगर हम दोनों पहचान में आ गए तो ? "

संपत ," तुमने सुना नहीं, वो दोनों बेवकूफ़ क्या बोल रहे थे कि शादी में अच्छे से अच्छे कपड़े पहनकर आना है। 

अबे हम दोनों के पास अच्छे कपड़ों की कोई कमी है क्या बे ? बढ़िया सा ब्रैंडेड कोर्ट पहन कर चलेंगे। 

कोई शक नहीं कर पायेगा, समझा क्या..? और मौका देखकर मुखिया की बेटी के आभूषण वहाँ से लेकर चम्पत हो जाएंगे। 

चलो गांव चलकर अभी से तैयारियां करना शुरू कर देते हैं। "

कप्तान," लेकिन हमें बहुत होशियारी से काम लेना होगा संपत भैया, क्योंकि हम दोनों कुछ महीने पहले ही उस गांव में चोरी करके आये हैं। "

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संपत," अबे कुछ नहीं होगा। सबसे पहले तो अभी हम दोनों अपने गांव चलते हैं। 

पूरे एक महीने से हम दोनों गांव में नहीं गए। सारे गांव वाले समझते हैं कि हम दोनों शहर में कोई बहुत बड़ा बिज़नेस करते है। "

कप्तान," कपड़े तो पहन ले। "

संपत," ये बात तो मैं भूल ही गया। चिंता मत कर कप्तान, हम दोनों ने अब तक ना जाने कितने गांव और शहर में चोरियां की हैं ? 

आज तक हम दोनों पकड़ में नहीं आये। अरें पकड़ना तो बहुत दूर की बात है, आज तक हम दोनों की थाने में तस्वीर भी नहीं लगी। "

इतना बोलकर संपत ज़ोर ज़ोर से हंसने लगा। उन दोनों ने अपने बैग में से शहर के कपड़े निकालकर पहन लिए और अपनी मोटरसाइकिल स्टार्ट करके अपने गांव पहुँच गए। 

वह दोनों अपने गांव पहुंचे ही थे कि तभी गांव के दो व्यक्ति घसीटा और बल्ली ने उन दोनों को घेर लिया। "

घसीटा," कैसे हो संपत भैया ? "

संपत," मैं तो ठीक हूँ घसीटा, तू बता ? अब तो तेरी पत्नी तुझे घसीट घसीटकर नहीं मारती ना ? "

घसीटा," तुम भी कमाल करते हो सम्पत भैया। तुम्हारी मजाक करने की आदत अब तक नहीं गई। "

संपत," क्या करें घसीटा..? तुझे देख कर ही मजाक करने का मन हैं। मुझे लगता है ये तेरी शकल ही कुछ ऐसी है यार। "

घसीटा," अरे ! वो सब छोड़ो संपत भैया। ये बताओ मैंने सुना है कि शहर में मटरू रेल बहुत अच्छी बनी है। "

संपत," अरे बेवकूफ ! वो मटरू रेल नहीं, वो मेट्रो होती है मेट्रो। "

घसीटा," अरे ! हमारे लिए तो मटरू और मेट्रो क्या फर्क है भैया ? "

बल्ली," अच्छा सम्पत भैया, मैंने सुना है मटरू रेल में बहुत सुन्दर सुन्दर कन्याएं भी नित्य करती है। "

संपत," बल्ली, शहर के लोग थोड़े खुले मिज़ाज के होते। हैं। "


बल्ली," अरे सम्पत भैया ! कभी हमें भी ले चलो ना अपने साथ एक बार शहर। हम भी एक बार अपनी आँखों से मेट्रो रेल का नजारा कर लेंगे और इसी बहाने अमिताभ बच्चन जी का घर भी देख लेंगे। "

संपत," अबे बेवकूफ आदमी ! मेट्रो ट्रेन दिल्ली में है और अमिताभ बच्चन का घर मुंबई में है। "

बल्ली," ये क्या बात कर रहे हैं संपत भैया ? हम तो पिक्चर में देखे थे कि अमिताभ बच्चन मेट्रो रेल में सवार होकर अपने घर जाते हैं। "

संपत ," अरे ! वो पिक्चर होती हैं बेवकूफ। अब मैं तुझे कैसे समझाऊँ ? "

कप्तान," यहाँ से निकल ले नहीं तो ये दोनों उलटी सीधी बाते करके हमारा दिमाग खराब कर देंगे। "

संपत," ठीक है बल्ली और घसीटा, हम दोनों चलते हैं। अगली बार हम तुम दोनों को अपने साथ शहर जरूर ले जाएंगे, हाँ और तुम्हें मटरू रेल जरूर दिखाएंगे। "

इतना कहकर संपत और कप्तान वहाँ से चले गए। कप्तान संपत घर के नजदीक जाकर बोला। 

कप्तान," एक घंटे बाद मैं आपको आपके घर पर बुलवाने आ जाऊंगा, तैयार रहना। "

संपत," क्यों? तू घर के अंदर नहीं आएगा क्या ? "

कप्तान,"अबे मुझे पागल कुत्ते ने काटा है क्या जो मैं तेरे घर पर आऊंगा ? तेरी पत्नी, पत्नी कम सीआइडी ज्यादा लगती है यार। 

जैसे ही तेरे घर के अंदर घुसता हूँ, सवालों की बौछार शुरू कर देती है। मुझे तो समझ में नहीं आता संपत तू अपनी पत्नी को झेलता कैसे हैं ? "

संपत," धीरे बोल कहीं इसने अगर सुन लिया ना तो वो मेरी बैंड बजा देगी। 

कप्तान हंसते हुए वहाँ से चला गया। संपत ने जैसे ही अपने घर के अंदर कदम रखा, उसकी बीवी कजरी ने उसे देखकर तराना शुरू कर दिया। 

कजरी," आ गए कलेक्टर साहब ? बहुत जल्दी याद आ गयी तुम्हें अपनी पत्नी की। सही सही बताओ एक महीने कहा मुँह काला कर रहे थे तुम ? "

संपत," कजरी, मुझे आए हुए अभी 5 मिनट भी नहीं हुए कि तुमने टट्टर करना शुरू कर दिया। अरे ! इसी वजह से मैं यहाँ पर नहीं आता। "

कजरी," बताओ तो और क्या करूँ तुम्हारी आरती करूं ? कितनी बार कहा है तुमसे कि मुझे भी शहर ले चलो ? लेकिन नहीं मुझे ले जाने के नाम पर तुम्हारी नानी मर जाती है। "

संपत," अरे ! उन्हें तो मरे हुए सालों हो गए। "

कजरी," मैं अब तुम्हारी एक नहीं सुनूंगी। इस बार मैं तुम्हें तुम्हारे दोस्त के साथ अकेले नहीं जाने दूंगी। मैं भी तुम्हारे साथ शहर चलूँगी। 

गांव वाले मुझसे तरह तरह के सवाल करते हैं कि तुम्हारे पति शहर में ऐसा कौन सा बिज़नेस करते हैं ? "

संपत ," मैंने कितनी बार कहा है तुमसे कि शहर में हमारा कपड़ों का व्यापार है ? अच्छा खासा मकान है। "


कजरी," तो उस मकान की फोटो ही दिखा दो पतिदेव। आज तक तुमने तो उसकी एक तस्वीर तक नहीं दिखाई। मुझे तो लगता है तुम जरूर कुछ उल्टा सीधा काम करते हो शहर जाकर। "

संपत ," बकवास बंद कर कजरी। कुछ देर बाद मैं यहाँ से चला जाऊंगा। "

कजरी," अच्छा ये बताओ, शहर से मैंने जो तुम से चांदी के छल्ले मंगवाए थे वो लाये क्या आप ? "

संपत," जाओ देखो, चांदी के छल्ले चांदी के छल्ले। अरे ! पिछली बार ही तो तुझे लाकर दिए थे वो कहां गए ? "

कजरी ," वो सब मुझे नहीं मालूम। वो मुझसे खो गए। अब मुझे दूसरे चाहिए। "

संपत," मुझे क्या पागल समझ रखा है कजरी, हैं ? सीधे सीधे ये क्यों नहीं कहती कि जो मैं शहर से तेरे लिए चांदी के छल्ले लाता हूँ तो वो अपने घरवालों को दे आती है ? "

कजरी," खबरदार जो अपनी जबान से मेरे घरवालों का नाम लिया। " 

संपत," नहीं तो... क्या कर लेगी तू ? "

कजरी," अभी और इसी वक्त अपने भाइयों को बुलवाकर तुम्हारा मुँह लाल करवा दूंगी। मत भूलो छः भाई हैं। 

पिछली बार की मार याद है ना ? कैसे उन्होंने तुम्हें मार मारकर तुम्हारा मुँह सुजा दिया था। "

संपत," मेरा दोस्त कप्तान बिल्कुल सही कहता है। पता नहीं मैं तेरे जैसी औरत को कैसे झेल रहा हूँ भाई ? "

कजरी," खबरदार जो तुमने उस कलमूहे कर्म जले दोस्त का मेरे सामने नाम लिया। निठल्ला कहीं का... उसकी तो आँखों में ही छिछोरापन छलकता है छिछोरा कहीं का। "

संपत," बस कर कजरी। अब मेरा और ज्यादा दिमाग खराब मत कर। पति थका हारा आया है। 

पानी को तो तुने पूछा नहीं उल्टा भाइयों से पिटवाने की धमकी देने लगी। जाकर मेरे लिए एक ग्लास पानी लेकर आ। "

संपत की बात सुनकर कजरी पैर पटकती हुई वहाँ से चली गई। थोड़ी ही देर बाद कप्तान संपत को बुलाने आ गया और दोनों पालमपुर गांव चले गए। 

अगले ही दिन बड़ी चालाकी से संपत और कप्तान शहर से आई बरात में शामिल हो गए। संपत से कप्तान से बोला।

संपत," बहुत होशियारी से काम लेना और हाँ, ओवर एक्टिंग करने की बिल्कुल भी जरूरत नहीं है। 

याद है ना... पिछली बार तेरी ओवर एक्टिंग की वजह से हम दोनों फंसते फंसते बचे थे। "

कप्तान," चिंता मत करो संपत भैया, इस बार ओवर एक्टिंग बिल्कुल नहीं करूँगा। इस बार ऐसी एक्टिंग करूँगा कि यहाँ से चोरी करने के बाद हम दोनों सीधे मुंबई जाएंगे "

संपत ," मुंबई में जाकर क्या करेंगे ? "

कप्तान," अरे ! फिर फिल्मों में काम करेंगे और क्या ? "

संपत ," ये बकवास बंद कर कप्तान और काम पर ध्यान दे। मैं ज़रा इधर उधर देखकर आता हूँ कि मुखिया ने गहने कहाँ पर रखे होंगे ? चल काम पर लग। "


इतना कहकर संपत वहाँ से चला गया और कप्तान बारातियों में शामिल होकर बाराती होने की एक्टिंग करने लगा। 

तभी वहाँ पर मुखिया बारातियों का हाथ जोड़कर स्वागत करने लगे। मगर जैसे ही मुखिया की नजर कप्तान पर पड़ी। मुखिया कुछ सोचता हुआ बोला। 

मुखिया," आप तो इस गांव के नहीं लगते। 

कप्तान," अरे मैं भला इस गांव का कहाँ से लगूंगा। ? मैं तो बाराती हूँ। "

मुखिया," माफ़ कीजियेगा, एक पल के लिए मुझे ऐसा लगा जैसे मैंने आपको कहीं देखा है। "

कप्तान," जरूर देखा होगा। मेरी तस्वीरें अखबारों में छपती रहती हैं। "

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मुखिया," वैसे क्या व्यापार करते हैं आप ? "

कप्तान ," मेरा कपड़ों का बहुत बड़ा व्यापार है और देश विदेश तक फैला हुआ है। प्रेस वाले, मीडिया वाले मेरी फैक्टरी के बनाये हुए कपड़ों की तस्वीरें लेने आते रहते हैं और जबरदस्ती मेरे भी पीछे पड़ जाते हैं। 

मजबूरन मुझे भी एकाध फोटो खींचनी पड़ती है और वो फोटो अखबार में छाप देते हैं। ऐसे ही कोई तस्वीर अआपने अखबार में देख ली होगी। "

कप्तान की बात सुनकर मुखिया सोच में पड़ गया। तभी वहाँ संपत आ गया। संपत को देखते हुए मुखिया बोला। 

मुखिया," क्या आप बाराती हैं ? "

संपत," जी, मैं भी बाराती में से हूँ। क्या आपको कोई शक है ? "

मुखिया," जी, मैं तो बस ऐसे ही बोल रहा था। "

संपत," आपके गांव में बारातियों से ये सब पूछने का रिवाज है। मैं देख रहा था कि आप मेरे दोस्त से भी कुछ पूछ रहे थे। "

मुखिया," अरे ! आप तो बुरा मान गए। आपका दोस्त मुझे बता रहा था कि इनकी तस्वीर अखबारों में छपती रहती है। "

मुखिया की बात सुनकर संपत कप्तान को घूरने लगा। 

संपत," हाँ हाँ, हम दोनों का बहुत बड़ा पार्टनरशिप में कपड़ों का काम है। "

इतना कहकर संपत कप्तान का हाथ पकड़कर आगे बढ़ गया। 

संपत," यार, क्या जरूरत थी इतनी लंबी लंबी डींगे हांकने की ? "

कप्तान," संपत भाई, मुझे कुछ ठीक नहीं लग रहा। मुझे लगता है कि हम दोनों को वापस चलना चाहिए। 

मुखिया ने किसी से कोई सवाल नहीं पूछा। सिर्फ उसने मेरी तरफ आकर ही मुझसे सवाल किया। 

मुझे लग रहा है की मुखिया हम दोनों को पहचान तो नहीं गया ? "


संपत," अबे दोनों यहाँ पर बारातियों में शामिल होकर खाना खाने के लिए नहीं आए हैं। चोरी करने के लिए आये है। 

मैंने पता लगा लिया की मुखिया ने गहने कहां पर हैं ? इस वक्त तो वहाँ पर कोई भी नहीं हैं। चल मेरे साथ जल्दी से। "

संपत और कप्तान लोगों की नजरों से बचते हुए मुखिया के उस कमरे में पहुँच गए, जहाँ पर सोने के आभूषण रखे हुए थे। 

संपत," जल्दी से अपनी जेब से अपनी चोरी वाली अपनी बढ़िया पॉलीथीन निकाल और गहने उसमें रख ले। 

संपत की बात सुनकर कप्तान सोच में पड़ गया। 

संपत," अरे ! क्या सोच रहा है तू ? इससे अच्छा मौका फिर नहीं मिलेगा। ये गहने लाखों रुपये के हैं। "

कप्तान," मुझे कुछ ठीक नहीं लग रहा है संपत भाई। लाखों के आभूषण ऐसे ही रखे हुए हैं। 

दरवाजा भी खुला हुआ है। पूरा घर लोगों से खचाखच भरा हुआ है। कुछ तो गडबड है। "

संपत," अबे बेवकूफ ! गडबड है तेरे दिमाग में। ऐसे मौके बार बार नहीं मिला करते। जल्दी से पालीथीन निकाल। "

कप्तान ने अपनी जेब में से एक पॉलीथीन निकाल ली और देखते ही देखते मुखिया के सारे गहने उसमें भर लिये और नजर बचाकर सीधे मोटर साइकिल पर बैठकर वह दोनों फरार हो गए। 

कप्तान," मोटरसाइकिल शहर की जगह अपने गांव की तरफ क्यों ले जा रहे हो ? अबे रात का समय है। पहले हम लोग अपने गांव चलेंगें और सुबह ही शहर की तरफ निकल लेंगे। 

अभी अगर हम लोग शहर की तरफ जाएंगे तो हमें ढूंढने के लिए वो मुखिया पुलिस को जरूर शहर की ओर ही भेजेगा, समझा ? "

कुछ ही देर में संपत अपने घर पहुँच गया। 

कप्तान," मैं आज तुम्हारे घर पर ही सोऊंगा। "

संपत," अबे, तुझे तो अपनी भाभी से बड़ा डर लगता है ? "

कप्तान," मैं सब जानता हूँ। जब तक मैं सुबह आऊंगा तब तक आधे कहने तुम पार कर लोगे। अब मैं भरोसा नहीं कर सकता। इसका आधा आधा होगा। "

संपत," अबे जब चोरी कर रहे थे तब तू बड़ा दयावान बन रहा था और जब चोरी करने में कामयाब हो गए तो अचानक तुझे तेरा हिस्सा याद आ गया।

 अबे तू कभी नहीं सुधरेगा। चल ठीक है आ चल। "

संपत की पत्नी कजरी जाग रही थी। संपत और कप्तान को देखते ही बोली। 

कजरी," आ गये तुम ? तुम तो कह रहे थे कि तुम कुछ दिनों बाद आओगे और ये तुम्हारे हाथ में क्या है ? "

संपत ," कितनी बार कहा है कि ज्यादा सवाल मत किया कर ? हम दोनों सुबह ही यहाँ से चले जाएंगे। "

संपत ने इतना कहा ही था कि तभी पूरे गांव में पुलिस के सायरन की आवाज गूंज उठी। 

पुलिस के सायरन की आवाज सुनकर संपत और कप्तान दोनों बुरी तरीके से घबरा गए। 


कजरी," अरे ! पुलिस के सायरन की आवाज सुनकर तुम दोनों के चेहरे पर पसीना क्यों आ रहा है ? तुम दोनों क्यों घबरा रहे हो ? "

कजरी ने इतना बोला ही था कि तभी कुछ पुलिसवाले संपत के घर के अंदर घुस गए। 

उन पुलिस वालों के साथ झोलपुर गांव का मुखिया भी था, जो संपत और कप्तान को गुस्से से देख रहा था। मुखिया ने इन्स्पेक्टर की ओर देखकर कहा। 

मुखिया," गिरफ्तार कर लीजिये इन दोनों को। देखिए इनके हाथ में जो पॉलीथीन है उसी में गहने हैं। "

इन्स्पेक्टर," आपको यह बताने की जरूरत नहीं है मुखिया जी। हमें तो इन दोनों की लोकेशन आधे घंटे पहले ही मिल गई थी। "

इतना कहकर इन्स्पेक्टर ने संपत के हाथ से पॉलीथीन छीन ली और हथकड़ियां लगा दी। 

कजरी," ये सब क्या है ? "

इन्स्पेक्टर," लगता है तुम्हें अपने पति के कारनामों के बारे में नहीं मालूम। "

कजरी," मेरे पति बहुत बड़े व्यापारी हैं, शहर में कपड़ों का व्यापार करते हैं। "

इन्स्पेक्टर," ये कोई कपड़ों का व्यापार नहीं करता बल्कि ये और इसका साथी दोनों मिलकर चोरी करते हैं। "

इतना कहकर मुखिया संपत और कप्तान की ओर देखकर बोला। 

मुखिया," तुम दोनों सोच रहे होंगे कि आखिर मुझे कैसे पता लगा कि तुम दोनों यहाँ पर छुपे हो ? चाहता तो मैं तुम्हें उसी वक्त पकड़वा सकता था जिस वक्त तुम मेरी बेटी के गहने चुरा रहे थे। 

अरे ! हम तो तुम्हारा कल से ही गांव में आने का इंतजार कर रहे थे, समझे बेटा..? पिछली बार तुमने जो जमींदार के घर पर चोरी की थी ना ? हम तब से ही तुम लोगों के ऊपर नजर रखे हुए थे। 

हमें यकीन था कि तुम मेरी बेटी की शादी में जरूर रहे होंगे। इसीलिए हमने गांव में आसपास सभी जगह ये खबर फैला दी थी कि मैं अपनी बेटी की शादी बहुत धूम धाम से कर रहा हूँ। 

मुझे पता था कि तुम मेरी बेटी के गहने जरूर चुराने आओगे। इसलिए मैंने पहले से ही इन्स्पेक्टर की मदद से गहनों में जीपीएस ट्रांसमीटर लगवा दिया था। 

तुमने जैसे ही गहने चुराये, हमें पता लग गया। लेकिन हम सब देखना चाहते थे कि आखिर तुम दोनों हो कौन और रहते कहां हो ? "

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संपत," हमें माफ़ कर दीजिए। हम आइंदा कभी चोरी नहीं करेंगे। "

इंस्पेक्टर ," वो तुम ऐसे ही नहीं करोगे क्योंकि जेल में तुम कोई चोरी कर ही नहीं पाओगे। "


इन्स्पेक्टर ने संपत और कप्तान को गिरफ्तार करके जेल में भेज दिया। 

अगले दिन संपत और कप्तान की सारी हकीकत सारे गांव में पता चल गई कि वे दोनों शहर में बिज़नेस नहीं बल्कि चोरियां किया करते थे।


इस कहानी से आपने क्या सीखा ? नीचे Comment में हमें जरूर बताएं।


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