दुर्व्यवस्था का आलय, जिला संयुक्त चिकित्सालय
नाम बड़े और दर्शन छोटे की कहावत चरितार्थ कर रहा है जिला संयुक्त चिकित्सालय चकिया।जी हां सौ शैय्या वाले इस चिकित्सालय में संसाधानों के बावजूद चिकित्सकों सहित कर्मचारियों का टोटा बना है। इससे चिकित्सकीय सुविधाओं का लाभ मरीजों को नहीं मिल पा रहा। नियुक्त अधिकांश चिकित्सकों को ओपीडी में समय से बैठने को कौन कहे
जासं, चकिया (चंदौली) : स्थानीय जिला संयुक्त चिकित्सालय नाम बड़े और दर्शन छोटे की कहावत चरितार्थ कर रहा है। 100 शय्या वाले चिकित्सालय में संसाधनों के बावजूद चिकित्सकों सहित कर्मचारियों का टोटा है। यह अस्पताल इस कदर दुर्व्यवस्था का आलय बन गया है कि यहां मौजूद चिकित्सकीय सुविधाओं का लाभ मरीजों को नहीं मिल पा रहा है। नियुक्त अधिकतर चिकित्सक ओपीडी में समय से बैठना तो दूर, अस्पताल से ही गायब रहते हैं। इससे मरीजों का समुचित इलाज नहीं हो पाता। मरीज निजी चिकित्सालयों में इलाज कराने को विवश हैं। रात में चिकित्सक सरकारी आवास में न रहकर वाराणसी, पीडीडीयू नगर व अन्य शहरों में रहते हैं।
संयुक्त चिकित्सालय में 23 चिकित्सकों का पद है। इनमें सीएमएस व तीन ईएमओ सहित 16 चिकित्सक हैं। चर्म रोग विशेषज्ञ, एक आर्थोपेडिक सर्जन आदि के पद रिक्त हैं। कमोवेश यही हाल पैरा मेडिकल स्टाफ का है। आउटसोर्सिग पर 35 चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी रखे गए हैं। इनमें 20 को चार महीने से वेतन नहीं मिल रहा। चिकित्सकों के नहीं रहने से हल्की चोट पर भी मरीज को यहां से रेफर कर दिया जाता है। अल्ट्रासाउंड, एक्स-रे जांच के लिए मरीजों को घंटों इंतजार करना पड़ता है। ऐसे में चिकित्सकीय व्यवस्था में कैसे सुधार हो, यह लोगों के लिए प्रश्नचिह्न बना हुआ है। ''संयुक्त चिकित्सालय में मरीजों के इलाज के लिए बेहतर संसाधन उपलब्ध हैं। चिकित्सक व कर्मियों के रिक्त पद के बाबत शासन को पत्राचार किया गया है।''
-डा. ऊषा यादव, सीएमएस।