खुद की भावनाओं को व्यक्त न कर पाना हो सकता है इमोशनल ब्लंटिंग, जानें इसके कारण और लक्षण

किसी भी इंसान में फीलिंग्स को महसूस करने और उसे व्यक्त करने की क्षमता का खत्म होना इमोशनल ब्लंटिंग का लक्षण होता है, जानें इसका कारण और इलाज।  
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खुद की भावनाओं को व्यक्त न कर पाना हो सकता है इमोशनल ब्लंटिंग, जानें इसके कारण और लक्षण

इंसान के जीवन में भावनात्मक उतार-चढ़ाव आना सामान्य माना जाता है। हर व्यक्ति का अपनी भावनाएं व्यक्त करने का तरीका अलग हो सकता है, लेकिन हर किसी में तमाम तरह की भावनाएं आती हैं। इन भावनाओं को व्यक्त करने में कुछ लोगों को कठिनाई हो सकती है वहीं कुछ लोग ऐसे होते हैं जो आसानी से अपनी फीलिंग्स दूसरों के सामने व्यक्त कर सकते हैं। जिन लोगों को भावनाएं व्यक्त करने या किसी से शेयर करने में परेशानी होती है उन्हें मानसिक स्वास्थ्य से जुड़ी समस्या इमोशनल ब्लंटिंग (Emotional Blunting) हो सकती है। इमोशनल ब्लंटिंग एक मानसिक समस्या है जिसके कारण इंसान को कई परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है। इमोशनल ब्लंटिंग की वजह से व्यक्ति की भावनाएं कुंद हो जाती हैं और उसे किसी भी प्रकार की स्थिति में कोई भी फीलिंग व्यक्त करने में परेशानी का सामना करना पड़ता है।  इमोशनल ब्लंटिंग की वजह से व्यक्ति को डिप्रेशन और चिंता या तनाव जैसी मानसिक स्थितियों का सामना करना पड़ सकता है। किसी भी व्यक्ति का भावनात्मक रूप से कुंद हो जाना उसके मानसिक स्वास्थ्य के साथ शारीरिक स्वास्थ्य पर भी बुरा असर डालता है। इमोशनल ब्लंटिंग के क्या कारण हैं? इस समस्या के शिकार लोगों में कौन से लक्षण दिखते हैं और इसका इलाज क्या है? 

इमोशनल ब्लंटिंग क्या है? (What is Emotional Blunting?)

इमोशनल ब्लंटिंग एक ऐसी मानसिक समस्या है जो किसी भी इंसान को भावनात्मक रूप से कुंद कर देती है। एक व्यक्ति जो हर तरह के इमोशन से तो गुजरता है लेकिन उस फीलिंग को व्यक्त नहीं कर पाता है या उसे यह समझ नहीं आता है कि उस परिस्थिति में अपनी भावनाओं को कैसे व्यक्त किया जाए। यह समस्या एक दो दिन से लेकर कई महीनों तक हो सकती है। जो व्यक्ति बार-बार इस स्थिति से गुजरता है उसे बाद में डिप्रेशन जैसी गंभीर मानसिक स्थितियों का सामना करना पड़ सकता है। अपनी भावनाओं को दूसरों से शेयर करने में हिचकिचाहट महसूस होना या फिर फीलिंग्स को व्यक्त न कर पाने की वजह से इंसान को पोस्ट-ट्रॉमैटिक स्ट्रेस डिसऑर्डर (PTSD) जैसी गंभीर मानसिक स्थितियों का खतरा बढ़ जाता है। इमोशनल ब्लंटिंग की समस्या के शिकार कुछ लोगों में अपने इमोशन को पहचानने में भी दिक्कत होती है, उन्हें यह नही पता चल पाता है कि वे किस फीलिंग या इमोशन से गुजर रहे हैं। इस समस्या से ग्रसित व्यक्ति के चेहरे पर भी हर परिस्थिति में एक तरह का भाव देखने को मिलता है। 

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(Image Source - Freepik.com)

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इमोशनल ब्लंटिंग के कारण (What Causes Emotional Blunting?)

इमोशनल ब्लंटिंग की समस्या का कोई सटीक कारण नहीं होता है। कई तरह की मानसिक स्थितियों और जीवनशैली के कारण लोगों में यह समस्या होती है। जब कोई भी इंसान अपने भीतर चल रही भावनाओं को पहचान नहीं पाता है और उन भावनाओं को दूसरों के सामने व्यक्त करने में परेशानी का अनुभव करना पड़ता है तो उसे इमोशनल ब्लंटिंग का शिकार कहा जाता है। इस स्थिति के प्रमुख कारण ये हो सकते हैं।

1. अधिक तनाव और चिंता - अधिक तनाव और चिंता से ग्रसित व्यक्ति में इमोशनल ब्लंटिंग के लक्षण देखे जा सकते हैं। अवसाद की समस्या से ग्रसित व्यक्ति में धीरे-धीरे इमोशनल ब्लंटिंग के लक्षण दिखते हैं।

2. एंटीडिप्रेसेंट दवाओं का सेवन - कुछ लोगों में इमोशनल ब्लंटिंग की समस्या तनाव और डिप्रेशन में इस्तेमाल होने वाली एंटीडिप्रेसेंट दवाओं की वजह से हो सकती है। कई शोधों में भी इस बात की पुष्टि हुई है कि जो लोग सेरोटोनिन रीपटेक इनहिबिटर (एसएसआरआई) जैसी अवसादरोधी दवाओं का सेवन करते हैं उनमें भावनाओं का अनुभव करने की क्षमता कम हो जाती है।

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3. शराब का अधिक सेवन - शराब का अधिक सेवन करने वाले लोगों में भी इमोशनल ब्लंटिंग की समस्या हो सकती है। शराब का सेवन हमारी केन्द्रीय तंत्रिका तंत्र को नुकसान पहुंचाता है जिसकी वजह से अल्कोहल यूज डिसऑर्डर पनपता है। ऐसे लोगों में अपनी भावनाओं को महसूस करने और उसे व्यक्त करने की क्षमता खत्म हो जाती है।

4. नशीली दवाओं (ड्रग्स) का सेवन - जो लोग नशीली दवाओं या ड्रग्स का इस्तेमाल करते हैं उनमे भी इमोशनल ब्लंटिंग की समस्या हो जाती है। भांग या हेरोइन जैसे मादक पदार्थों का सेवन इंसान के तंत्रिका तंत्र को नुकसान पहुंचाते हैं जिसकी वजह से व्यक्ति भावनात्मक रूप से कुंद हो जाता है।

5. एलेक्सिथिमिया के कारण - एलेक्सिथिमिया एक प्रकार का मानसिक विकार है जिसकी वजह से लोगों में इमोशन को पहचानने या महसूस करने की क्षमता कम हो जाती है। 

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6. पोस्ट-ट्रॉमैटिक स्ट्रेस डिसऑर्डर - इस समस्या से ग्रसित व्यक्ति को भी फ्लैशबैक ट्रॉमा जैसी स्थितियों का सामना करना पड़ता है जिसकी वजह से इंसान की भावनात्मक क्षमता कमजोर जो जाती है। 

7. गंभीर माइग्रेन के कारण - माइग्रेन की समस्या भी इंसान को भावनात्मक रूप से कुंद या निष्क्रिय कर सकती है। गंभीर रूप से माइग्रेन की समस्या से पीड़ित व्यक्तियों में इमोशनल ब्लंटिंग के लक्षण देखे जा सकते हैं। 

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इमोशनल ब्लंटिंग के लक्षण (Emotional Blunting Symptoms)

इमोशनल ब्लंटिंग यानी किसी भी व्यक्ति का भावनात्मक रूप से कुंद हो जाने की समस्या में इंसान किसी भी प्रकार की फीलिंग्स को महसूस करने या व्यक्त करने में असमर्थ हो सकता है। ऐसे व्यक्तियों को किसी भी प्रकार का इमोशन महसूस नहीं होता है। इस समस्या में दिखने वाले सामान्य लक्षण इस प्रकार से हैं।

  • सुख या दुःख को न कर पाना
  • बेचैनी
  • बोलने में दिक्कत
  • थकान
  • तनावग्रस्त रहना
  • याददाश्त कमजोर होना
  • उदासीनता
  • सामाजिक दूरी

इमोशनल ब्लंटिंग का इलाज (Emotional Blunting Treatment)

इमोशनल ब्लंटिंग की समस्या के लक्षण दिखने पर इंसान के पास दो तरह के इलाज के विकल्प होते हैं। एक तो सामान्य परिस्थितियों या खानपान की वजह से इस समस्या के होने पर व्यक्ति खुद को नियंत्रित कर इस समस्या से निजात पा सकता है। दूसरा मानसिक बीमारियों के कारण गंभीर रूप से इस समस्या के शिकार होने पर आपको मनोरोग चिकित्सक की जरूरत होती है। डॉक्टर आपकी स्थिति के हिसाब से कई तरह की थेरेपी और दवाओं के सेवन की सलाह देंगे। इस समस्या से छुटकारा पाने के लिए इंसान को दवाओं और थेरेपी के साथ-साथ योग का भी अभ्यास करना चाहिए। आप अपनी जीवनशैली और खानपान पर ध्यान देकर भी इस समस्या से निजात पा सकते हैं।

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इमोशनल ब्लंटिंग की समस्या अगर किसी भी व्यक्ति में काफी दिनों से है या व्यक्ति में गंभीर रूप से इसके लक्षण देखे जा रहे हैं तो उसे एक्सपर्ट और लाइसेंस प्राप्त मनोरोग विशेषज्ञ की सलाह लेनी चाहिए। ज्यादा दिनों तक इस समस्या के शिकार व्यक्ति को इसकी वजह से कई मानसिक और शारीरिक समस्याएं हो सकती हैं।

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