आदिवासी समाज ने मनाया स्वतंत्रता दिवस : भील धर्मशाला को बचाने की ली शपथ,सामाजिक धरोहर को चाहे कुछ हो जाए, हम खत्म नहीं होने देंगे,हाई कोर्ट भी जाएंगे

राइजिंग न्यूज रतलाम भील विश्रांति ग्रह (भील धर्मशाला) पर प्रातः 10:00 बजे ध्वजारोहण किया गया।

आदिवासी एकता परिषद, अखिल भारतीय भील समाज ,जय आदिवासी युवा शक्ति(जयस),आदिवासी छात्र संगठन ,महाराणा पूजा भील जन कल्याण संगठन, वीर एकलव्य आदिवासी सामाजिक सेवा संस्थान रतलाम एवं समस्त सामाजिक संगठनों के संयुक्त तत्वाधान में आदिवासी समाज द्वारा भील विश्रांति गृह (भील धर्मशाला ) पर स्वतंत्रता दिवस की 77 वी वर्ष गांठ पर ध्वजारोहण कर हर्षोल्लाह के साथ धूमधाम से श्रद्धा पूर्वक राष्ट्रीय त्यौहार मनाया गया।

इस अवसर पर चंपाबाई चंदू मईडा (जिला पंचायत सदस्य रतलाम), ईश्वरलाल भाभर, देवीलाल आमलिया (जनपद सदस्य रतलाम), कालूराम महाराज, ढोल सिंह महाराज, दुबल गिरी महाराज, उदाजी ,मांगीलाल जी, जगदीश गरवाल,कालू बारोड, भंवरलाल मालीवाड़, सुनील डामोर, राहुल डामर, किशोर बारिया, यस बारिया, कमल भूरिया, रमेश भाभर, शंकर लाल डामर,श्यामलाल डोडियार, मोहनलाल देवड़ा, अजय सिंगार, प्रकाश मईडा, अमर सिंह डोडियार, अजय गरवाल, सतीश मुनिया, समाजसेवी सूरत लाल डामर आदि बड़ी संख्या में गणमान्य समाज बंधु उपस्थित थे।

सभी अतिथियों ने अपने संबोधन में स्वतंत्रता दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं देते हुए। भील विश्रांति गृह भील धर्मशाला बचाने के लिए विशेष जोर देते हुए शपथ ली कि इस सामाजिक धरोहर को हमे चाहे कुछ भी करना पड़े लेकिन इस सामाजिक धरोहर को हम खत्म नहीं होने देंगे ।इसके लिए चाहे हमें अपने प्राणों की आहुति क्यों ना देनी पड़े। इस भील धर्मशाला को बचाने के लिए राजेंद्र बारिया, जीवाजी भवर, दिलीप सिंह जी भूरिया ,नंदलाल मुनिया, बाबूलाल जी गरवाल,भुवानीराम गावडे, मोहन गिरी महाराज , आदि ने जीवन पर्यंत संघर्ष कर अपना जीवन समाज के लिए अर्पित कर दिया। भील धर्मशाला बचाने का सामूहिक संकल्प लिया और हाई कोर्ट में अपील कर के प्रकरण पुनः लगाया जावेगी और इस संघर्ष को आगे बढ़ाया जाएगा।

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