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वर्तमान अवसर्पिणी काल के द्वितीय तीर्थंकर हैं : भगवान अजितनाथ का मोक्ष कल्याणक दिवस मनाकर निर्वाण लाडू चढ़ाया


श्री 1008 भगवान अजितनाथ स्वामी निर्वाण मोक्ष कल्याणक शनिवार सुबह 7 बजे महावीर जिनालय चुंगी नाका अम्बाह में मनाया गया। इस पावन अवसर पर सुबह सात बजे से भगवान अजितनाथ स्वामी जी के पंडित विमल शास्त्री द्वारा मंत्र उच्चारण से अभिषेक, शांतिधारा,विशेष पूजन के पश्चात निर्माण लाडू चढ़ाया गया। पढ़िए मनोज जैन नायक की रिपोर्ट…


अम्बाह/मुरैना। श्री 1008 भगवान अजितनाथ स्वामी निर्वाण मोक्ष कल्याणक शनिवार सुबह 7 बजे महावीर जिनालय चुंगी नाका अम्बाह में मनाया गया। इस पावन अवसर पर सुबह सात बजे से भगवान अजितनाथ स्वामी जी के पंडित विमल शास्त्री द्वारा मंत्र उच्चारण से अभिषेक, शांतिधारा,विशेष पूजन के पश्चात निर्माण लाडू चढ़ाया गया। प्रवीण कुमार अश्वनी कुमार जैन (पुणे) की तरफ से मंदिर में उपस्थित समाजजन की स्वल्पआहर की व्यवस्था की गई। सुबह से ही भक्तों का मंदिर में दर्शन और लाडू चढ़ाने के लिए तांता लगा रहा। महावीर जैन, विमल शास्त्री, राकेश बर्फ वाले, पिंकी जैन, पवन जैन, मुरारी लाल जैन, अजय पत्रकार, शिवदयाल जैन, अंतराम जैन, डॉ लाला जैन, श्रीकृष्ण जैन, पप्पू जैन, मुन्ना लाल जैन, आशु जैन, कपिल जैन, सौरभ जैन, जिनवाणी मंडल और सैकड़ो समाजजन के वरिष्ठ लोग शामिल हुए।

विमल शास्त्री ने अपने प्रवचन में कहा कि भगवान अजितनाथ जैनधर्म के 24 तीर्थकरो में से वर्तमान अवसर्पिणी काल के द्वितीय तीर्थंकर हैं। अजितनाथ का जन्म अयोध्या के इक्ष्वाकुवंशी क्षत्रिय राजपरिवार में माघ के शुक्ल पक्ष की अष्टमी में हुआ था। इनके पिता का नाम जितशत्रु और माता का नाम विजया था। अजितनाथ का चिह्न हाथी था। भगवान अजिताथ की कुल आयु 72 लाख पूर्व की थी। भगवान अजितनाथ जी का मोक्ष कल्याणक चैत्र सुदी पंचमी के दिन सम्मेद शिखरजी में हुआ था। प्रभु खडगासन की मुद्रा में ध्यान लगाये मासखमण का उपवास कर अपने अष्टकर्मों का क्षय कर सिद्ध कहलाये और निर्वाण पा गये।

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