लेखक का पाठक से प्रेम, प्रेमी प्रेमिका वाला प्रेम नहीं होता। लेखक अपने सभी पाठकों से समरूप से प्रेम करते हैं। घनिष्ठता या संवाद समय समय पर कम या ज्यादा हो सकते हैं।
समस्या तब उत्पन्न होने लगती है जब इस प्रेम को लेखक, पाठक या कोई और कुछ और समझने लगता है। किसी भी अवस्था में यह लेखक के लिये ही घातक सिद्ध होता है।