कभी कभी समय निकाल कर निष्क्रिय हुआ कीजिए,
इस जीवन,संसार मे, जो हर क्षण अत्यधिक सक्रिय है,
सन्तुष्टता प्रदत्त है निष्क्रियता,भय और इच्छा बाधा है,
साक्षीपन का अभ्यास आवश्यक यदि जीवन प्रिय है,
प्रायः निष्क्रियता अभ्यास है चेतना को मुक्त करने का,
परिस्थितियों पर से नियंत्रण खोने की सचेत प्रक्रिया है,
साहस और विश्वास अति आवश्यक है,आंनद के लिए,
परिवर्तन को सहज स्वीकारना ही योगी की दिनचर्या है,
निष्क्रियता में अंतर्मन के द्वन्दों पर ध्यान दिया कीजिए,
हृदय को खोलने, व्यक्त करने का पूर्ण अभ्यास कीजिए,
श्रेष्ठता की बजाए,सत्यता को जीवन का केंद्र बिंदु बनाएं,
कभी उपरोक्त अभ्यास पूर्वनियोजित और कभी अनायास कीजिए
साक्षीदृष्टा भव:🤚
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