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अनेकता में एकता की मिसाल पेश करता अरुणाचलः पूर्वोत्तर का वो राज्य जहां खूब बोली जाती है हिंदी

अरुणाचल प्रदेश में 26 जनजातियां और 100 से अधिक उपजातियां बसती हैं. 50 से अधिक बोलियां बोली जाती हैं, लेकिन कुछ ही भाषाएं ऐसी हैं जिनकी अपनी लिपि है. लेकिन हिंदी यहां के लोगों के लिए आपस में जोड़े रखने की भाषा है और चीन के उस दावे को नकारता भी है जो इसे दक्षिण तिब्बत मानता है.

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हिंदी पढ़ते अरुणाचल के बच्चे (फोटो-मनोज्ञा लोइवाल)
हिंदी पढ़ते अरुणाचल के बच्चे (फोटो-मनोज्ञा लोइवाल)
स्टोरी हाइलाइट्स
  • पूर्वोत्तर भारत का एकमात्र हिंदी भाषी राज्य अरुणाचल प्रदेश
  • राज्य में 26 जनजातियां, 100 से अधिक उपजातियां
  • 50 बोलियों वाले राज्य में हर जगह बोली जाती है हिंदी
  • इंडियन आइडल में पांचवें स्थान पर आए थे यहां के जेली

दक्षिण भारत के लोग एक ओर जहां हिंदी भाषा के खिलाफ लगातार मुखर रहते हैं और वहां जमकर इसके खिलाफ राजनीति करते हैं तो वहीं सुदूर अरुणाचल प्रदेश इस मामले में एक नायाब उदाहरण पेश करता दिख रहा है. अरुणाचल प्रदेश भारत के उत्तर पूर्वी क्षेत्र का सबसे दूरवर्ती और पूर्वोत्तर क्षेत्र का एकमात्र हिंदी भाषी राज्य है.

अरुणाचल प्रदेश में 26 जनजातियां और 100 से अधिक उपजातियां बसती हैं. 50 से अधिक बोलियां बोली जाती हैं, लेकिन कुछ ही भाषाएं ऐसी हैं जिनकी अपनी लिपि है. इस पूर्वोत्तर राज्य की आधिकारिक भाषा भले ही अंग्रेजी है, लेकिन हिंदी राज्य की कनेक्टिंग और संचार की भाषा है.

'जोड़ने में मदद करती है हिंदी'
टंबोम रिबा बताती हैं, 'हिंदी हमारे लिए सबसे महत्वपूर्ण भाषा है. यह हमारी राष्ट्रीय भाषा है. यह एक दूसरे को जोड़ने में मदद करती है. और, जब हम बाहर जाते हैं, तो हम केवल हिंदी के माध्यम से ही संवाद करते हैं. यह एक बहुत ही महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है. असम के पास उनकी अपनी भाषा है और अरुणाचल में हमारे लिए यह हिंदी है.'

अरुणाचल प्रदेश में हिंदी और अंग्रेजी मुख्य भाषा है जबकि संस्कृत को वैकल्पिक रखा गया है. अरुणाचल में हिंदी के प्रसार को लेकर एक बड़ा श्रेय भारतीय सेना को भी जाता है जो पिछली शताब्दी से इस क्षेत्र में किले को संभाल रही है.

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ज्यादातर जनजातियों की अपनी अलग-अलग बोली

जिले के एक छात्र संघ के प्रतिनिधि माजू इरु ने कहा, 'NEFA का जब समय था, तब हम सभी अपनी-अपनी स्थानीय बोली में बोलते थे जैसे टैगिन्स में टैगिन भाषा में बात करते थे. निशिज निशि भाषा में बात किया करते थे, लेकिन जब से भारतीय सेना का यहां आना शुरू हुआ और यहां रहने लगे तो हम सब भी हिंदी सीखने लगे. हमारा हिंदी उच्चारण अलग-अलग हो सकता है, लेकिन हम बहुत अच्छी हिंदी बोल सकते हैं. इसलिए, मैं कहूंगा कि यह भारतीय सेना की वजह से हुआ कि हमने हिंदी बोलना शुरू किया और स्कूली पढ़ाई के दौरान भी, हमें हिंदी सिखाई गई. इसलिए अब हम सभी हिंदी में बात करना पसंद करते हैं.'

यहां की ज्यादातर जनजातियों की अपनी अलग-अलग बोली है. तानी कबीले में गालो, न्याशी, मिनयोंग, अपातानी और टैगिन शामिल हैं, ये सभी अपनी-अपनी बोली बोलते हैं. इन जनजातियों के लिए कोई लिखित लिपि अब भी उपलब्ध नहीं है.

इटानगर में डेरा नटुंग सरकारी कॉलेज की सहायक प्रोफेसर तुंबोम रीबा 'लिली' बताती हैं, 'अरुणाचल प्रदेश में 26 जनजातियां और उपजनजातियां रहती हैं, जिनकी अपनी बोलियां हैं. और मैं बोलियों के संदर्भ में यह बात इसलिए कह रही हूं क्योंकि भाषा को लिखने के लिए लिपि की आवश्यकता होती है. हमने यहां ज्यादातर बोलियों की लिपि नहीं मिली है.'

'किसी ने हम पर नहीं लादी हिंदी'
उन्होंने कहा कि हमारे पास 'घोटी लिपि' है, लेकिन 'तानी' नाम की एक लिपि भी है, जिसे अभिव्यक्त किया गया है लेकिन यह अपने पूर्ण रूप में विकसित नहीं हुई है. इसके लिए तत्पर हैं. इसलिए, अब तक हमारे पास केवल एक बोली है. और, चूंकि हर जनजाति की अपनी भाषा है, इसलिए हम हिंदी में ही एक-दूसरे के साथ संवाद करते हैं. इसलिए, हिंदी यहां एक संपूर्ण भाषा बन गई है.

इसके अलावा, 'मैं यह कहना चाहूंगी कि हम पर किसी ने हिंदी नहीं लादी है, हमने स्वेच्छा से इसे अपनाया है. हिंदी इतनी प्रचलित है कि अगर आप किसी दुर्गम गांव में जाते हैं, तो वहां भी हर कोई जय हिंदी कहकर स्वागत करेगा.'

हालांकि अरुणाचल सरकार ने भोटी भाषा जो दुनिया की सबसे समृद्ध प्राचीन भाषाओं में से एक है, चार जिलों में बौद्ध बहुल इलाकों के स्कूलों में एक विषय के रूप में शुरू की है. इस विषय को तवांग और वेस्ट कामेंग जिले के सभी स्कूलों में पेश किया गया, जिसमें वेस्ट सियांग जिले के अपर सियांग और मेन्चुका क्षेत्र शामिल हैं. स्कूल प्रारंभिक शिक्षा निदेशालय के सहयोग से कार्मिक और अधियात्मिक विभाग (डीओकेए) द्वारा यह पहल की गई है.

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'12वीं तक हिंदी में पढ़ाई'
एक छात्र, न्यदे मलिंग ने कहा, 'बहुत सारी जनजातियां अपनी बोलियों और भाषाओं के साथ पूरे राज्य में फैली हुई हैं. इसलिए अगर हमें संवाद करना होता तो यह दूरी और अंतर के कारण कभी संभव नहीं होता. शिक्षा प्रणाली में हिंदी एक को प्रमुख विषय के रूप में आने के लिए पूरी तरह से धन्यवाद. स्कूली शिक्षा में प्राइमरी से 12वीं कक्षा तक हिंदी की पढ़ाई होती है.'

'प्राथमिक शिक्षा से लेकर विश्वविद्यालयों तक हिंदी फल-फूल रही है. हिंदी की यहां पढ़ाई होती है. इसके अलावा, हिंदी एक अनिवार्य भाषा है जिसे प्राथमिक विद्यालय से कक्षा 10 तक सभी को सीखना पड़ता है. वास्तव में, राजीव गांधी विश्वविद्यालय में पीएचडी के लिए भी हिंदी का अध्ययन किया जाता है.'

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कैसे हुई शुरुआत

हिंदी यहां कैसे आई तो इस पर थोड़ा पीछे जाना होगा. हिंदी का विकास वर्ष 1954 में मार्गरीटा में शुरू हुआ था? चनलंग जिले के एक शहर में शिक्षकों को हिंदी सिखाने के लिए प्रशिक्षण देने के लिए बुनियादी शिक्षा भवन नाम का एक स्कूल बनाया गया था. एक प्रशिक्षण केंद्र भी खोला गया था. और यही कारण है कि अरुणाचल प्रदेश में आज हिंदी संपन्न है.

डॉक्टर टैगियो कोडक जो ड्रूपिजो के सरकारी कॉलेज में असिस्टेंट प्रोफेसर हैं, बताते हैं कि हिंदी यहां बहुत लोकप्रिय है क्योंकि पहले भारतीय जो काम करने के लिए यहां आए थे, उन्होंने खुद को सामाजिक सेवाओं में व्यस्त कर लिया था. वह एक चरम राष्ट्रवादी थे और सभी के लिए समान थे और स्थानीय लोगों की मदद करते थे. यही कारण है, हर कोई हिंदी बोलना पसंद करता है. सेना की इसमें खास भूमिका रही.

भाषा राष्ट्रीयता की भावना भी पैदा करती है और मुख्य भूमि से जुड़ती है जो पूर्वोत्तर के अन्य राज्यों की तुलना में यहां पर अधिक है.

'हमारे लिए दिल्ली दूर नहीं'
अरुणाचल प्रदेश चीन के साथ लगभग 1,100 किलोमीटर की एक अंतरराष्ट्रीय सीमा साझा करता है और हिंदी यह बताने में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है कि चीन का इसे दक्षिण तिब्बत कहने का दावा निराधार है. अरुणाचल प्रदेश भारत का अभिन्न अंग है और रहेगा.

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इतिहास के बारे में टंबोम रिबा 'लिली' एक दिलचस्प बात बताती हैं, वह कहती हैं, 'अगर मैं यहां हिंदी के सार्वजनिक प्रसार के बारे में बात करूं, तो जो सैनिक दूसरे राज्यों से आते थे, उन्होंने स्थानीय लोगों के साथ हिंदी में बातचीत की और उसी से उन्होंने हिंदी भाषा सीखना शुरू किया. अन्य कारणों में से एक कारण यह है कि हिंदी इतनी लोकप्रिय हुई क्योंकि बॉलीवुड फिल्मों और सीरियलों को बेहद पसंद किया जाता है.'

'यहां के लोग बेहद खूबसूरती से हिंदी में भी गाना गाते हैं. हमारे पास एक स्थानीय कलाकार है जेली केय, जो इंडियन आइडल में पांचवें स्थान पर आए थे. अंत में मैं यह जोड़ना चाहती हूं कि हिंदी भाषा की वजह से ही केंद्र सरकार से जुड़े हैं. हिंदी की वजह से ही हमारे लिए दिल्ली दूर नहीं है और राष्ट्रीय एकता का प्रतीक है.'

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